आ) निम्नलिखित संकेतों के आधार पर लगभग ७० से ८० शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक
दीजिए तथा सीख लिखिए
मोहन का उसे अपने पिता से छुपाकर रोटी देना भिखारी का खुश होना
पिताजी का देखना मोहन को डॉटना भिखारी को बुलाना
उसे अच्छे कपडे देना अपने पडोम
के बंगले में सफाई का काम दिलवाना सच्ची सहायता करना
सौख।
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सकते, किन्तु यह सत्य है कि दोनों मिलकर ही पूर्ण होते हैं। दोनों का अपना-अपना महत्त्व है। किन्तु समय एवं समाज की बदलती हुई स्थिति में दोनों की भूमिकाओं एवं महत्त्व में प्रायः उतार-चढ़ाव आता रहा है।
यदि हम अतीत के झरोखे में झाँकें जब समाज ने अपना स्वरूप ग्रहण नहीं किया था तब मनुष्य भी जानवरों की तरह ही रहता था । स्त्री-पुरुष दोनों अपने-अपने स्तर पर प्रत्येक दृष्टिकोण से स्वतंत्र थे। इसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि नवजात शिशुओं की स्थिति खराब होने लगी और इनके विकास का स्वरूप भी काफी सीमा तक अनिश्चित-सा हो गया था ।
सृष्टि ने विकास के साथ-साथ मनुष्य में भी क्रमशः स्वाभाविक विकास होने लगा। मनुष्य ने अपने कष्टों एवं विकास में हो रहे अवरोधाों को ध्यान में रखकर अपने विकास हेतु सोचना एवं उसे कार्यरूप देना शुरू किया, इसी प्रक्रिया में क्रमशः समाज ने अपना रूप ग्रहण करना आरंभ किया ।