आ). पत्रलेखन. 5
ववज्ञान प्रयोग शाळेसाठी उपकरणाांची मागणी करणारे पत्र ललहा.
ककांवा
तु
मच्या लमत्राने /मैत्रत्रणीने चचत्रकला स्पधेमध्ये प्रर्म क्रमाांक
लमळवला आहे अलभनांदन करणारे पत्र ललहा
Answers
पत्र-लेखन – Letter-Writing in Hindi
पत्र-व्यवहार ऐसा साधन है जो दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संगम भूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ लेखक जेम्स हाडल का कथन सत्य ही है कि “जिस प्रकार कुंजियाँ मंजूषाओं के पत्र लेखन एक कला है जो दो व्यक्तियों के विचारों को साहित्यिक तकनीक में समेट कर प्रस्तुत करती है। पत्र मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल, सहज, लोकप्रिय तथा सशक्त माध्यम से करता है।
पत्र के प्रकार
पत्र व्यक्ति के सुख-दुःख का सजीव संवाहक होने के साथ यह पत्र-लेखक के व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब भी होता है। निजी जीवन से लेकर व्यापार को बढ़ाने अथवा कार्यालय/संस्थानों में परस्पर सम्पर्क का साधन पत्र ही है। पत्र की इन सभी उपयोगिताओं को देखते हुए पत्रों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है जो निम्नलिखित हैं-
- अनौपचारिक पत्र
- औपचारिक पत्र
पत्र की विशेषताएँ
पत्र लेखन एक कला है। पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
- भाषा की संक्षिप्तता पत्र लेखन में अपने भावों एवं विचारों को संक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त किया जाना चाहिए। पत्र में अनावश्यक रूप से विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए। पत्र में व्यर्थ के शब्दों से भी बचा जाना आवश्यक है।
- क्रमबद्धता पत्र लेखन करते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक है, जो बात पत्र में पहले लिखी जानी चाहिए उसे पत्र में प्रारम्भ में तथा बाद में लिखी जाने वाली बात को अन्त में ही लिखा जाना चाहिए।
- भाषा की स्पष्टता एवं सरलता पत्र की भाषा पूरी तरह सरल व स्पष्ट होनी चाहिए। भाषा में स्पष्टता का गुण न होने पर पत्र पढ़ने वाला पत्र-लेखक के भावों को समझ नहीं पाएगा। स्पष्टत: पत्र लिखते समय प्रचलित शब्दों एवं सरल वाक्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए। कठिन भाषा से पत्र नीरस हो जाता है।
- प्रभावपूर्ण शैली पत्र की भाषा शैली प्रभावपूर्ण होनी चाहिए जिससे पाठक पत्र-लेखक के भावों को सरलता से समझ सके। पत्र की भाषा मौलिक होनी चाहिए। अनावश्यक शब्दों एवं भाषा का प्रयोग करके आकर्षक पत्र नहीं लिखा जा सकता।
- उद्देश्यपूर्ण पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए जिससे पाठक की हर जिज्ञासा शान्त हो जाए। पत्र अधूरा नहीं होना चाहिए। पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया जाना निश्चित हो उसका उल्लेख पत्र में निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए। पत्र पूरा होने पर उसे एक बार अन्त में पुनः पढ़ लेना चाहिए।
पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें
पत्र लिखित समय ध्यान देने योग्य बातें निम्नलिखित हैं
- पत्र लिखते समय प्रारम्भ में पत्र-लेखक व पत्र-प्राप्तकर्ता का नाम व पता दिनांक के साथ लिखा जाना चाहिए।
- पत्र में अनावश्यक बातों का विस्तार न देकर संक्षिप्त में अपनी बात प्रभावपूर्ण तरीके से कही जानी चाहिए।
- पत्र का विषय स्पष्ट होना चाहिए।
- पत्र लिखते समय कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कहने की कोशिश करनी चाहिए।
- पत्र की भाषा मधुर, आदरसूचक एवं सरल होनी चाहिए।
- पत्र की समाप्ति इस प्रकार होनी चाहिए कि पत्र का सन्देश स्पष्ट हो सके।
अनौपचारिक पत्र
सगे-सम्बन्धियों, मित्रों, रिश्तेदारों, परिचितों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं, इन्हें व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है। इनमें व्यक्तिगत प्रवृत्तियों, सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, बधाई, शुभकामना आदि का वर्णन किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों की भाषा आत्मीय व हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।