आि से लगभग चार सौ पचास िर्ष पहले भारत में म
ु
गल सम्राट अकबर का राि था। अकबर का राि
लगभग सारे भारत में िैल च
ु
का था। अनेक रािप त रािाओं ने अकबर की अधीनता स्िीकार कर ली
थी। फकंतु
क
ु
छ रािप त रािा अब भी ऐसे बचे थे , जिन्होंने अकबर की अधीनता स्िीकार नहीं की थी।
िे अकबर के सामने फकसी भी शतष पर लसर झु
काने को तैयार नहीं थे। उन्हीं में से एक गोंड रािा
दलपतशाह भी थे।
दलपतशाह बड़े िीर और स्िालभमानी रािा थे। दग
ु
ाषिती उन्हें पनत के रप में पाकर अपने पर गिष
करती थीं। पर उनका यह गिष अधधक ददन तक न रह सका। वििाह के केिल चार िर्ष बाद ही
दलपतशाह का ननधन हो गया। उस समय रानी की गोद में एक प
ु
त्र था। उसका नाम िीर नारायण
था। प
ु
त्र के सहारे ही रानी ने िीिन के ददन काटने का ननश्चय फकया। िब तक िीर नारायण बड़ा
होता , रानी स्ियं गद्दी पर बैठ ं और ब
ु
जध्दमत्ता से राज्य का कायष सँभाला । उनके शासनकाल में गोंड
राज्य की ख ब प्रगनत हुई।
१. अकबर का राज्य भारत में कहाँिैला हु
आ था ?
२. दलपतशाह कौन थे ?
३. दग
ु
ाषिती का गिष अधधक ददनों तक क्यों नहीं रह सका ?
४. रानी दग
ु
ाषिती स्ियं गद्दी पर क्यों बैठ ं ?
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