India Languages, asked by Kamblesushma810, 3 months ago

आ) सानुल्या झुळकेच्या प्रवासाचे स्वरुप Guys plz find out from this poem urgent.​

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Answered by tirksunigmailcom
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Explanation:

यह कबीर दास की मैंने बोली है यह कभी दास की बोली है तो तो हमने सुनी है तो दो हमने सुनी है तब हम नहीं थे तब हमने कभी दास की बोली सुनी है कबीरदास की बोली सुनी है

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