(आ) 'शिक्षा से वंचित बालकों की समस्याएँ', इस विषय पर अपना मत लिखिए।
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प्रतिभाशीलता शब्द एक विशेषण है, जिसका तात्पर्य है कि एक ऐसा व्यक्ति जो विशेष रूप से असाधारण योग्यता या बुद्धि से सम्पन्न हो। प्रतिभाशाली व्यक्तियों पर अध्ययन लेविस तरमन के सन् 1925 के कार्य से प्रारम्भ हुआ, जिसमें उन्होंने उच्च योग्यता वाले व्यक्तियों की पहचान करने के लिए बुद्धि परीक्षण का प्रारूप तैयार किया। अगर हम आसान भाषा में समझें तो प्रतिभाशाली बालक यानी ऐसे बालक, जो जन्म से ही अपनी प्रखर बुद्धि के कारण अपनी अलग पहचान रखते हैं। अक्सर ऐसा कई बार होता है कि वो अपनी प्रतिभा के बल पर किसी भी कार्य को आसानी से अंजाम देकर सबको आश्चर्य चकित कर देते हैं। इनके अन्दर किसी क्षेत्र विशेष के लिए सीखने, समझने और करने की निपुणता अद्वितीय होती है।
वहीं पिछड़े बालक ऐसे बालक होते हैं जो अपनी उम्र के अन्य बालकों के साथ सामान्य गति से विकास नहीं कर पाते हैं। ऐसे बालक सीखना तो चाहते हैं मगर उनके सीखने की गति अन्य बालकों की तुलना में कम होती है।
इस सम्बंध में कुछ विद्वानों के मत निम्न हैं-
1- सिरिक वर्ट के अनुसार: पिछड़ा बालक वह है, जिसकी शैक्षणिक लब्धता (educational quotient) 85 से कम हो और अपने विद्यालयी जीवन के मध्य में अर्थात् 10/12 वर्ष की उम्र में अपनी कक्षा से नीचे का कार्य न कर सके, जो उसकी आयु के लिए समान्य कार्य हो।
2- शौनेल के अनुसार: वह पिछड़ा बालक है जो अपनी आयु के अन्य विद्यार्थियों की तुलना में अत्यधिक शैक्षणिक दुर्बलता को प्रदर्शित करे।
3- टीकेएस मेनन: पिछड़ा बालक वह है जो अपनी कक्षा की औसत आयु से एक से अधिक वर्ष बड़ा हो।
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Explanation:
शिक्षा सीखने की प्रक्रिया है। यह कौशल में सुधार और ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक तत्व है। यह व्यक्ति को कुशल और ज्ञानवान बनाता है ताकि व्यक्ति रोजगार प्राप्त कर सके और शांतिपूर्ण जीवन जी सके।
चिली, मैक्सिको, भारत और तुर्की जैसे कुछ देशों में बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। यह खराब स्वास्थ्य, और खराब सामाजिक आर्थिक स्थिति के कारण हो सकता है। ऐसे बच्चे निकट भविष्य में कौशल विकसित करने और रोजगार हासिल करने में सक्षम नहीं होंगे।