आंधी से कों को दरा हुआ है |निर्माण कविता के आधार पर लिखिए
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Explanation:
उत्तर: कवि मनुष्य जीवन में आनेवाले दुखों तथा संकटों के बारे में बताने के लिए आँधी को एक प्रतीक के रूप में प्रयोग कर रहे हैं | कवि कह रहे हैं कि मनुष्य जीवन में कई बार घनघोर दुख तथा संकट आ जाते हैं | ऐसा लगता है वे मनुष्य को पूरी तरह समाप्त कर देंगे | मनुष्य का आत्मविश्वास डगमगा जाता है, वह सोचने लगता है कि यह दुख तथा संकट कभी समाप्त ही नहीं होंगे | इन से पार पाने का कोई उपाय नहीं है |
५) ऐसा क्यों लग रहा था कि अब कभी सवेरा नहीं होगा ? यहाँ सवेरे से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: आँधी ने पूरे आसमान को इस तरह से ढँक दिया था कि दिन में भी रात जैसा अँधेरा हो गया था | रात तो इतनी ज्यादा अँधकारमय थी कि ऐसा लगता था जैसे अब कभी सुबह नहीं होगी | यहाँ अँधेरा संकटों तथा दुखों का प्रतीक है और सवेरा उन संकटों तथा दुखों के समाप्त होने की आशा है | कवि कह रहे हैं कि यह दुख इतना बड़ा है कि लगता है वो कभी समाप्त ही नहीं होगा
उत्तर: आँधी के उठने पर आसमान में अँधेरा छा गया | धूल से भरे हुए बादलों ने धरती को चारों तरफ से घेर लिया | दिन में भी रात जैसा अँधकार हो गया | उस रात अन्य रात्रियों से ज्यादा अँधकार छा गया | ऐसा लग रहा था कि अब दोबारा इस संसार में सुबह नहीं होगा | इस अँधेरी रात से पूरा संसार डर गया |
Answer:
above answer is correct
Explanation:
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