आबहवा का असर इंसान के रहन-सहन, खान-पान, वेश- में न भूषा, शरीर और मस्तिष्क पर पड़ता है तो उसका जीता-जागता सबूत भारत में बसने वाले भिन्न-भिन्न प्रान्तों के लोग देते हैं।
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can I know what's your doubt here.
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अगर असम की पहाड़ियों में वर्ष में तीन सौ इंच वर्षा मिलेगी तो जैसलमेर की तप्तभूमि भी मिलेगी, जहाँ साल में दो-चार इंच भी वर्षा नहीं होती। कोई ऐसा अन्न नहीं, जो यहाँ उत्पन्न न किया जाता हो। कोई ऐसा फल नहीं, जो यहाँ पैदा नहीं किया जा सके। कोई ऐसा खनिज पदार्थ नहीं, जो यहाँ के भू-गर्भ : में न पाया जाता हो और न कोई ऐसा वृक्ष अथवा जानवर है, जो यहाँ फैले हुए जंगलों में न मिले।
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