Hindi, asked by royricha1612, 6 months ago

आचार्य जी ने ककसको राक्षस कहा हैं ?

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Answered by ramyadukuntla
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Explanation:

दरभंगा| कलयुग में केवल भगवान का नाम ही व्यक्ति के लिए अाधार है। सिर्फ भगवान के नाम के स्मरण मात्र से व्यक्ति पापाें से मुक्ति पा लेता है। उक्त बातें श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन अाचार्य बद्री प्रसाद शुक्ल ने कही। उन्हाेंने उपस्थित लाेगाें काे बताया कि भक्त प्रहलाद ने सिर्फ भगवान का नाम जपकर के हिरणकश्यप नामक राक्षक पर विजय प्राप्त की थी। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उन्हाेंने कहा कि हम सबकाे जरूरी है कि हम भी भगवान का भजन अाैर स्मरण कर अपने अंदर के राक्षस का संहार करें, ताकि दिनाें-दिन हमारी प्रगति हाे सके। अाचार्य शुक्ल ने बताया, जाे व्यक्ति मानव जीवन में भी भजन, कीर्तन अाैर दान से दूर रहता है अंत में उसे पछताना ही पड़ता है। श्रेष्ठ उदाहरणाें के माध्यम से उन्हाेंने उपस्थित भक्त श्रद्धालुअाें से कहा, हम सबकाे जरूरी है कि हम अंदर के राक्षस का संहार करें, तभी विकास के पथ पर अग्रसर हाे सकेंगे। कथा संगीतमयी भजनाें ने भक्ताें का मन माेहा।

भगवान के विभिन्न रूपों का किया गया वर्णन

अाचार्य शुक्ल ने व्यासपीठ के माध्यम से बताया कि भगवान हम सबके पास है, बस उसे भक्ति के भाव से देखने की जरूरत है। उन्हाेंने कहा, कण-कण में ईश्वर का वास है। उसे हम जितनी जल्दी समझ लेंगे, उतनी जल्दी हमारा विकास शुरू हाे जाएगा। माता-पिता भी हमारे ईश्वर का ही रूप हैं। अगर हम उनका दिल दुखाते हैं ताे ईश्वर काे कष्ट पहुंचाते हैं, इसलिए उनका अादर करें ताे ईश्वर की ही अाराधना हाेगी। कथा में भजन गायक अाेम शुक्ला, विनय भाई थे। वहीं संताेष मंडल ने बड़ी संख्या में कथा में पहुंचने की अपील लाेगाें से की।

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