आचार्य क्षितिमोहन सेन एक बार देर रात घर लौटे तो पत्नी को क्रोध में भरा पाया। जब पत्नी ने खाना
लाकर रखा तो आचार्य ने थाली उनके सिर पर रख दी। पली भन्नाई," यह क्या करते हो?" कुछ नहीं,
एक सज्जन किसी मसले पर पंडित नेहरू से उलझ रहे थे अपनी बात मनवाने के लिए। अंत में खीझकर
पहलू पर अड़े हुए हैं।" नेहरूजी ने कहा और बात हँसी में समाप्त हो गई।
शाचे दिया गया गदयांश पदिए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साना ठंडा है और तुम्हारा माथा गरम खाना गरम कर रहा था। आचार्य ने उत्तर दिया।
बोले
, "पंडितजी, आप भूल रहे हैं कि हर मसले के दो पहलू होते हैं।" "तो आप शायद इसीलिए गलत
मालवीय जी को एक नवाब से दान में जूता मिला, वे उसे काशी में नीलाम करने को उद्यत हो गए, तब
नवाब साहब ने कई हजार रुपए देकर अपना जूता वापस लिया।
यह है जीवन को हँसी-खुशी से जीने का ढंग, कठिन परिस्थितियाँ, क्रोध में भरे और दुर्जन लोगों से भी
हँसते-मुसकराते निपटने की कला।
लिंकन की हास्यप्रियता भी मशहूर है। एक बार वे अपने जूतों पर पॉलिश कर रहे थे। किसी ने आश्चर्य
प्रकट किया, "मिस्टर राष्ट्रपति, क्या आप अपने जूते साफ़ करते हैं?"
“जी हाँ," मुसकराकर लिंकन बोले, " और आप किनके जूते साफ़ करते हैं?"
1. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
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jivan jine ke doo pahelu
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