आचार्य द्रोण महर्षि भारद्वाज के पुत्र थे पांचाल देश का पुत्र द्रोपदी धवन के साथ ही भरद्वाज आश्रम में शिक्षा पा रहा था दोनों में गहरी मित्रता थी शिक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया उससे एक पुत्र हुआ जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा दिखा वह चाहते थे की धन प्राप्त प्राप्त किए जाएं और अपने पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रह जाए सॉरी लगी कि परिश्रम अपनी सारी संबंधी गरीब ग्रामीणों को मान रहे हैं तो बकबक उनके पास गए लेकिन उनके पहुंचने तक परिश्रम अपने सारे संबंधी वितरित कर चुके और वन गमन की तैयारी कर रहे थे रूम को देखकर वह बोले ब्राह्मण से आपका स्वागत है पर मेरे पास जो कुछ था वह में बांट चुका है अब यह मेरे शरीर और धन्य है बताइए मैं आपके लिए क्या करें तब द्रोण ने उनसे सारी अस्त्रों का प्रयोग तथा रहस्य सिखाने की प्रार्थना की प्रार्थना स्वीकार कर लिया को पूरी शिक्षा दें
1द्रोणाचार्य का पिता का नाम क्या है
2उनका मित्र का नाम क्या है
3द्रोणाचार्य का विवाह किससे हुई और उसका पुत्र का नाम क्या है
4परशुराम ने द्रोणाचार्य को क्या दिया
5यह गद्यांश को एक शीर्षक दो(नाम दो)
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- महर्षि भारद्वाज
- द्रोपदी धवन
- द्रोणाचार्य का विवाह उसकी बहन से हुआ और उनके पुत्र का नाम अश्वत्थामा था
- परशुराम ने द्रोणाचार्य को सारे अस्त्र चलाना सिखा दिया और कुछ रहस्य बता दिए
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