Hindi, asked by nirmalakhorwal21, 9 months ago

Aadhunik Bharat ke Itihaas Mein Doctor bheemrav Ambedkar ka yogdan par nibandh​

Answers

Answered by hurricane96
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Explanation:

महिला शिक्षा और न्याय, जीवन के तेरे पर्याय,

लोकतंत्र की रखी आन, दे कर समता का संविधान,

मानवता की तू आंधी था, दलितों का तू गांधी था।

ये पंक्तियां एक ऐसी शख्सियत बयान करती हैं, जिसे ‘फादर ऑफ इंडियन कंस्टिच्यूशन’ कहा जाता है। नाम है डॉ. भीम राव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar)। छुआछूत और असमानता को मिटाने में उनके योगदान को देश कभी नहीं भूल सकता। डॉ. अंबेडकर एक मनीषी थे, विद्वान थे, दार्शनिक थे, समाजसेवी थे, देशभक्त थे, आजादी के परवाने थे, संविधान निर्माता थे। बहुत ही गुणी और अद्वितीय प्रतिभा वाले शख्स थे।

Bhimrao ambedkar

बचपन से ही झेल रहे थे दलित होने का दंश

भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को इंदौर के महू में हुआ था। भीमराव के पिताजी रामजी फौज में सूबेदार थे और मां का नाम था भीमाबाई सखपाल। वे दलित बिरादरी से आते थे, जिन्हें उन दिनों अछूत कहा जाता था। सामाजिक, आर्थिक हर रूप में उनके साथ बहुत भेद-भाव होता था, शोषण होता था। पिता लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करते हुए अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने और कड़ी मेहनत के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया करते थे। स्कूली पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद अंबेडकर और उनके दलित बच्चों को विद्यालय में अलग बिठाया जाता था। अध्यापक भी उनकी बातों, उनकी पढ़ाई-लिखाई पर कोई खास ध्यान नहीं देते थे। कई बार तो कक्षा के अंदर तक बैठने की अनुमति नहीं होती थी। प्यास लगती थी तो ऊंची जाति का कोई आता था, ऊंचाई से पानी डालता था, वो हाथों से अंजलि बनाते थे और फिर पानी पीते थे। आमतौर पर उनको पानी पिलाने का काम भी स्कूल के चपरासी का ही होता था और अगर चपरासी अब्सेंट हुआ तो दलित बच्चों को, जिसमें अंबेडकर जी भी शामिल थे, बिना पानी के ही दिन गुजारना पड़ता था। बाद में डॉ. अंबेडकर ने अपने संस्करणों में इसका वर्णन काफी विस्तार से किया था और उसका शीर्षक दिया था- न चपरासी, न पानी। छुआछूत की भावना के चलते इन बच्चों का कक्षा में हर बात पर शोषण होता था, उनको नीचा दिखाया जाता था। एक बार क्लास में टीचर ने भीमराव अंबेडकर को गणित का एक प्रश्न हल करने के लिए ब्लैकबोर्ड के पास बुलाया। इस बात पर क्लास में बवाल मच गया। ऊंची जाति के विद्यार्थियों ने कहा कि ब्लैकबोर्ड के पास तो उनके खाने के डिब्बे रखे हैं। तो पहले खाने के सारे डिब्बों को वहां से हटाया गया, फिर भीमराव ने उस सवाल को हल किया।

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