Aadhunik लोकतंत्र mein सत्ता की भागीदारी ke vibhinn rupon का ullekh kijiye
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आधुनिक लोकतंत्र की कोई ऐसी सुनिश्चित सर्वमान्य परिभाषा नहीं की जा सकती जो इस शब्द के पीछे छिपे हुए संपूर्ण इतिहास तथा अर्थ को अपने में समाहित करती हो। भिन्न-भिन्न युगों में विभिन्न विचारकों ने इसकी अलग अलग परिभाषाएँ की हैं, परंतु यह सर्वदा स्वीकार किया है कि लोकतंत्रीय व्यवस्था वह है जिसमें जनता की संप्रभुता हो। जनता का क्या अर्थ है, संप्रभुता कैसी हो और कैसे संभव हो, यह सब विवादास्पद विषय रहे हैं। फिर भी, जहाँ तक लोकतंत्र की परिभाषा का प्रश्न है अब्राहम लिंकन की परिभाषा - लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन - प्रामाणिक मानी जाती है। लोकतंत्र में जनता ही सत्ताधारी होती है, उसकी अनुमति से शासन होता है, उसकी प्रगति ही शासन का एकमात्र लक्ष्य माना जाता है। परंतु लोकतंत्र केवल एक विशिष्ट प्रकार की शासन प्रणाली ही नहीं है वरन् एक विशेष प्रकार के राजनीतिक संगठन, सामाजिक संगठन, आर्थिक व्यवस्था तथा एक नैतिक एवं मानसिक भावना का नाम भी है। लोकतंत्र जीवन का समग्र दर्शन है जिसकी व्यापक परिधि में मानव के सभी पहलू आ जाते हैं।
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