aadhunik Shiksha Pranali and anushasan hinta ko kaise badhaya de rahi hai in short
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विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता का मुख्य कारण माता-पिता की ढिलाई मानते हैं. माता पिता के संस्कार ही बच्चे पर पढ़ते हैं. बच्चे की प्राथमिक पाठशाला घर होती है. घर का वातावरण ही दोषपूर्ण है तो उसके संस्कार उन्नत कैसे हो सकते हैं? पहले तो प्यार के कारण माता-पिता बच्चों के खराब व्यवहार, शिष्टता और खराब भाषा की ओर ध्यान नहीं देते, किंतु जब हाथी के दांत बाहर निकल आते हैं तो उन्हें चिंता होती है और वह विद्यालय और शिक्षकों की आलोचना करना आरंभ कर देते हैं. बच्चों के गलत व्यवहार और संस्कारों का एक कारण हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली भी है, जिसमें नैतिक या चरित्रिक शिक्षा का कोई स्थान नहीं है. पहले विद्यार्थी को दंड का भय बना रहता था, शारीरिक दंड देना अपराध माना जाता है; शिक्षक केवल जबानी जमा खर्च ही कर सकते हैं. पश्चिमी संगीत, नृत्य पता चल चित्रों ने भी विद्यार्थियों को बहुत हानि पहुंचाई है. इनके कारण उनमें चारित्रिक दृढ़ता न रहकर उच्छृंखलता इस सीमा तक बढ़ गई है कि यदि सीमा रहते इस और ध्यान न दिया गया तो देश का भविष्य ही अंधकार पूर्ण हो सकता है.
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