aadhunik Yug Mein badhti Pradarshan pravritti
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आजकल पर्यावरण राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक चर्चित विषय है। बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण ने सम्पूर्ण विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में पर्यावरण पर आयोजित प्रथम अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में एकमत से पर्यावरण के संरक्षण को मानवता की मूल आवश्यकता स्वीकार किया गया था। गत वर्ष ब्राजील में हुए “पृथ्वी शिखर सम्मेलन” में मौसम परिवर्तन, वन-विनाश, टेक्नोलॉजी हस्तांतरण जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। आज जल, थल और वायु की बात तो दूर अंतरिक्ष को भी प्रदूषण मुक्त करने की बातें चल रही हैं। हालाँकि बातें ज्यादा हो रही हैं और काम कम लेकिन फिर भी इन चर्चाओं से आम आदमी में पर्यावरण के प्रति सजगता पैदा हो रही है।
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हम प्राचीन युग से आधुनिक युग की ओर बढ़ रहे हैं। इसमें हर नागरिक को अपनी मांग के लिए हक की आवाज उठाने का हक है।
हमारा संविधान हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह अपनी मांगो के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सकता है।
हाल के वर्षों में प्रदर्शन प्रवृति में बढ़ावा देखने को मिला है। इसका राजनीतिक कारण भी है। राजनीतिक दल अपने लाभ हेतु समय समय पर अपने मुद्दों के लिए ऐसे धरना प्रदर्शन कराते रहते हैं।
विरोध की आवाज अगर शांतिपूर्ण हो तब इसके कोई परेशानी नहीं है। हां बेवजह प्रदर्शन का ढोंग कर के देश की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना यह गलत जरूर है।