Aadikal ke vibhinn Sahitya per Prakash dalen
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आदिकाल के साहित्य के विषय में बात करें तो
सबसे पहले उस समय की साहित्यिक
परिस्थिति या पृष्ठभूमि को जानना अति
आवश्यक होगा ।
आदिकाल :-
•हिंदी जगत के साहित्य में पहला पड़ाव या यूं कहे पहला मोड़ अर्थात आरम्भिक काल ।
•आदिकाल के पश्चात या यू कहे आदिकाल के
अलावा भी इसे चारणकाल, वीरगाथाकाल
आदि कहा जाता है ।
साहित्यिक परिस्थितियों के विषय में उल्लेख
करें तो :-
• आदिकाल में प्रमुख तौर पर साहित्य में तीन
धाराओं का रंग था :-
संस्कृत साहित्य , प्राकृत साहित्य , हिंदी भाषा
साहित्य ।
• हर प्रकार की रचनाएं हुई थी जैसे धर्म ग्रंथ, ।नीति , श्रृंगारिक , वीर , आदि
वस्तुत: इस वजह से इसे आदिकाल कहा गया ।
आदिकाल के साहित्य के विषय में और
जानने के लिए हमे उस समय की रचनाएं और
रचनाकारों के विषय में जानना महत्वपूर्ण है ।
आदिकाल के प्रमुख रचनाकार -
चंदबरदाई
• ' पृथ्वीराज रासो ' के लेखक ।
खुसरो
•हिन्दू- मुसलमान में भेद भाव ना करने वाला,
साथ ही दोनों को परस्पर जोड़े रखने वाला
खड़ी बोली के कवि।
• खुसरो के दोहे, मुकरियां और गीत अत्यधिक
लोकप्रिय है ।
विद्यापति (मैथिल कोकिल)
•विद्यापति पदावली , किर्टिलता , कीर्तिपताका
आदि ।
आदिकाल की प्रमुख रचनाएं :-
रासो काव्य ( वीर रस साथ ही श्रृंगार रस
प्रधान काव्य)
गंगावाक्यावली ( भक्ति रस प्रधान)
नाथ साहित्य ( बुद्धि/ ज्ञान को महत्व)
जैन साहित्य
आदिकाल की साहित्यिक विशेषताएं:-
• युद्ध का जीता जागता उल्लेख ( उदाहरण
पृथ्वीराज रासो )
• वैधता में संदेह अर्थात इतिहास का शून्यता।
• चुकी कवि किसी ना किसी राजा के दरबारी
कवि थे इस कारणवश उनके लेखनी में
महाराजाओं की प्रशंसा का रंग दिखाई देता है।
• हर प्रकार की रचना , चाहे वह नीति परक हो
या वीर ,श्रृंगार रस प्रधान।
Answer:
adikalin sahitya ke prakar on per Prakash dalen