aadminama Kavita mein kavi ka mukhya udeshya kya hai.
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Explanation:
नजीर अकबरावादी को अकबरावादी, नजीर अकबर, अकबर नजीर आदि नामों से भी जाना जाता है।
आदमी लोगों की जूतियाँ चुराकर, किसी की जान लेकर तथा किसी की इज्ज़त उतारकर वह बुरा कहलाता है।
इस दुनिया में अच्छे काम करने वाले सज्जन पुरुष और दूसरों को सताने वाला कमीना से कमीना व्यक्ति भी आदमी ही है। दूसरों पर राज करने वाला राजा और मंत्री भी आदमी ही है। दूसरों को दुख पहुँचाने और दूसरों को सुख देने वाले दोनों ही तरह के लोग आदमी ही हैं।
मुफलिस शब्द गरीब वर्ग के लिए प्रयोग किया गया है।
कवि के मुख्य उद्देश्य निम्न है-
आदमी को उसकी अच्छाइयों, बुराइयों, सीमाओं व सम्भावनाओं से परिचित करवाना।
आदमी को उसकी स्वाभाविक विविधता से परिचित करवाना।
आदमी को उसकी असलियत का आईना दिखाना।
कर्मों के आधार पर ही आदमी अच्छा और बुरा कहलाता है। जब वह अच्छे कर्म करता है तो अच्छा आदमी और बुरे कर्म करने वाला बुरा आदमी कहलाता है।
यां’ आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तैग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी।
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी।
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।
मुझे ये पंक्तियाँ इसलिये अच्छी लगी क्योंकि इसमें दूसरे के लिये अपनी जान न्यौछावर करने वाली भावना है तो वही तलवारी चलाकर दूसरे की जान ले लेने वाला भी आदमी है। इन पंक्तियों में एक आदमी के मुसीबत में पड़ने पर दूसरे आदमी को सहायता के लिये पुकारने पर आदमी परोपकार की भावना से भर दूसरे आदमी की सहायता करने के लिये दौड़ पड़ता है।
कवि नज़ीर अकबराबादी ने ‘आदमी नामा’ कविता में आदमी के चरित्र को उसके स्वभाव और कार्य के आधार पर उभारा है। उनका कहना है कि दुनिया में लोगों पर शासन करने वाला आदमी है, तो गरीब, दीन-दुखी और दरिद्र भी आदमी है। धनी और मालदार लोग आदमी हैं तो कमजोर व्यक्ति भी आदमी है। स्वादिष्ट पदार्थ खाने वाला आदमी है तो दूसरों के सूखे टुकड़े चबाने वाला भी आदमी है। इसी प्रकार दूसरों पर अपनी जान न्योछावर करनेवाला आदमी है तो किसी पर तलवार उठाने वाला भी आदमी है। एक आदमी अपने कार्यों से पीर बन जाता है तो दूसरा शैतान बन जाता है। इस तरह कवि ने आदमी के चरित्र की विविधता को उभारा है।
Explanation:
कवि नज़ीर अकबराबादी ने आदमी नामा कविता में मानव के विविध रूपों पर प्रकाश डाला है। वे कहते हैं कि मानव जीवन में अनेक संभावनायें छिपी हुई हैं। मानव की परिस्थितियाँ और भाग्य भी भिन्न हैं जिसके कारण उसे भिन्न भिन्न रूपों में जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
इस दुनिया में सभी आदमी हैं। चाहें वो बादशाह हो, गरीब आदमी हो, धनवान हो या कमज़ोर व्यक्ति हो, जिसे खाने की कमी न हो अथवा जिसे रोटी मुश्किल से मिलती हो, भी आदमी है।
फिर कवि आदमी के विभिन्न कामों के बारे में बताते हैं। मस्जिद का निर्माण, उसके अंदर उपदेश देने का काम, वहाँ कुरान नमाज़ अदा करने का काम आदमी ही करता है। मस्जिद के बाहर जूतियाँ चुराने का काम और उनको भगाने का काम भी आदमी करता है।
एक आदमी दूसरे की जान लेने का प्रयास करता है और दूसरा आदमी उसके प्राणों को बचाता है। एक आदमी इज्ज़त लूटता है तो दूसरा आदमी मदद करता है।
इस प्रकार दुनिया में सब काम आदमी ही करते हैं। आदमी ही आदमी का मित्र है और दुश्मन भी है। बुरे और अच्छे दोनों आदमी ही कहलाते हैं।