आए बनकर उल्लास अभी, आँसू बनकर बह चले अभी, सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहँ चले? हम दीवानों की हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले, मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले ।
प्रश्नः
1. उपर्युक्त पद्यांश के कवि का नाम क्या है?
2. पद्यांश में किन दीवानों की बात हो रही है?
3. 'आए बनकर उल्लास अभी' - इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
Answers
बनकर उल्लास अभी, आँसू बनकर बह चले अभी, सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहँ चले? हम दीवानों की हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले, मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले ।
1. उपर्युक्त पद्यांश के कवि का नाम क्या है?
उत्तर : उपर्युक्त पद्यांश के कवि का नाम है , भगवतीचरण वर्मा है | उपर्युक्त पद्यांश दीवानों की हस्ती पाठ से लिया गया है |
2. पद्यांश में किन दीवानों की बात हो रही है?
उत्तर : पद्यांश में उन दिवानों की बात की गई है , जो मनुष्य हमेशा हर हाल में खुश रहता है | दीवाने हमेशा खुश रहते है | वह दूसरों को हमेशा खुश रहते है | वह हर परिस्थिति मे खुश रहते है | दीवाने हमेशा , आज मे जीना पसंद करते है | वह एक बार जो समय निकल गया , वह उसके बारे मे सोचते नहीं है | वह हमेशा मस्ती के मुड़ मे रहते |
3. 'आए बनकर उल्लास अभी' - इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : 'आए बनकर उल्लास अभी' - इस पंक्ति का यह भाव है कि दीवाने हर जगह जाते है , वह उल्लास बन कर आते है | वह हर जगह खुशियाँ देते है | वह दुखी मनुष्य के अंदर जोश भर देते है | जब वह वापिस आते है , तब पीछे लोगो कि आंखों मे आँसू होते है |