Hindi, asked by HimakshiVyas, 5 months ago

आए महंत वसंत
मखमल' के झूल पड़े हाथी-सा टीला
बैठे किंशुक छत्र लगा बाँध पाग पीला
चंवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनंत
आए महंत वसंत।
श्रद्धानत तरुओं की अंजलि से झरे पात
कोपल के मुँदै नयन थर-थर-थर पुलक गात
अगरु धूम लिए घूम रहे सुमन दिग-दिगंत
आए महंत वसंत।
खड़ खड़ खड़ताल बजा नाच रही बिसुध" हवा
डाल डाल अलि पिक के गायन का बँधा समा
तरु तरु की ध्वजा उठी जय जय का है न अंत
आए महंत वसंत।​

Answers

Answered by pankajnafria75
30

Explanation:

कविता बहुत अच्छी है

पर करना क्या है

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