आए दिन चोरी और झपटमारी के समाचारों को पढ़कर आपके मन में जो विचार आते हैं, उन्हें किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र के रूप में लिखिए।
Answers
║ चोरी-चकारी की घटनाओं पर संपादक को पत्र ║
दिनाँक: 17 अक्टूबर
सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय,
नया सवेरा (समाचार पत्र)
दिल्ली
माननीय संपादक महोदय,
मैं विनय वर्मा, नया सवेरा समाचार पत्र का नियमित पाठक हूँ। मैं नया सवेरा के माध्यम से कुछ अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ। इन दिनों हम देख रहे हैं कि हमारे समाज में चोरी और झपट मारी की घटनाएं बेहद बढ़ गई है। मैं रोज समाचार पत्रों में ऐसी घटनाओं की भरमार देखता हूँ। इससे मन में मेरे मन में ऐसी घटनाओं को पढ़कर दुख और चिंता दोनों उत्पन्न होती हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। लोग परिश्रम करने से बच रहे हैं और बहुत से असामाजिक तत्व शॉर्टकट यानि जल्दी धन कमाने का शॉर्टकट तरीका अपनाकर ऐसे आपराधिक कृत्यों को अंजाम देने में लग गए हैं।
हमारे वह संस्कार कहाँ गए जहाँ परिश्रम को बेहद महत्व दिया जाता है और किसी के पराए धन को मिट्टी के समान समझा जाता है। पता नहीं आज के समाज में कौन से संस्कार विकसित हो रहे हैं जिसके कारण लोग चोरी-चकारी जैसे निकृष्ट कार्यों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। सरकार द्वारा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उसके साथ ही हमें अपने समाज में सामाजिक स्तर पर भी कुछ ऐसे प्रयास करने होंगे कि लोगों में नैतिकता का भाव जन्मे, ताकि लोग ऐसे गलत कार्यों को करने से बचें।
मेरी राय में कानून और व्यवस्था की कमजोरी तथा नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ऐसी घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है और हमें इन दोनों स्तर पर बहुत अधिक कार्य करने की जरूरत है, ताकि हमारे आस-पास एक साफ, स्वच्छ और भयमुक्त समाज निर्मित हो।
धन्यवाद,
एक पाठक...
विनय वर्मा,
शारदा विहार,
दिल्ली
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