आग बुझाने से बेहतर आग की रोकथाम
पर ५०० शब्दों में निबंध
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Answer: यह एक अच्छी बात है कि आपदाओं की फेहरिस्त में आग से होनेवाली दुर्घटनाएँ प्राय: कम ही देखने में आती है | इस का होना बहुत आम बात नहीं हैं, लेकिन जब वे होती है तो धन – जन की हानि का बड़ा संकट उत्पन्न हो जाता है | लापरवाही के कारण लगी आग दुर्घटनाओं से संपत्ति और जिंदगी दोनों के लिए एक बृहद नुकसान हो सकता है |अत: जहां भी ऐसी संभावनाए अधिक हो हमे सतर्कतापूर्वक इन कारणों को तुरंत एवं तत्काल दूर कर देना चाहिए |
: हम बचपन में छोटे गाँव में रहते थे | जाड़े के दिन थे | रात के दस बजे थे | माँ किसी रिश्तेदार के यहाँ गयी हुई थी | रात में हमारे भोजन लेने के बाद मेरे पिता ने दूध गर्म करने के लिए उस दिन लकड़ी जलायी | दूध बनाया, मुझे आवाज देकर कहा कि दूध पीकर इस लकड़ी को पानी से बुझा कर बाहर रख देना | मैंने पानी के कुछ छीटें लकड़ी पर डाले पर और बाहर रख दी | दरवाजा बंद करके सो गया | लकड़ी ठीक से बुझी नहीं और दुर्भाग्य से उस दिन हवा भी चल रही थी | चिंगारी से कैसे आग लगी पता ही नहीं चल पाया | पड़ोस में भी इसकी लपटे जा चुकी थी | धुआँ भी उठने लगा | पिताजी अपने कमरे में अखबार पढ़ रहे थे | धुआँ देखते ही उन्होने मुझे और मेरे भाई को चीखकर उठाया | बाहर से भी आवाज़ें आ रही थी | अफरा-तफरी मची हुई थी | कई लोग मदद के लिए पानी की बाल्टियाँ लेकर आग बुझाने में लगे हुए थे | पिताजी ने हमें सबसे पहले बाहर निकाला और स्वयं जो अत्यंत ज़रूरी सामान थे उसे बाहर सुरक्षित स्थान पर रखने लगे | मैं पड़ोसी के घर की खिड़की से सब देख रहा था लोग पास के नलकूप और कुओं से पानी लाने में जुटे हुए थे सब ने मिलकर आग बुझा दी किंतु हमारे पड़ोसी गुप्ता जी और हमारे आंगन में रखे हुए कई सारे सामान जलकर राख हो चुके थे । सब ने मिलकर भगवान का शुक्रिया अदा किया । हम सभी सुरक्षित थे किंतु हमारा और हमारे पड़ोसी का नुकसान तो काफी हुआ था, क्योंकि हम मध्यम वर्गीय परिवार से थे और जो सामान जलकर राख हुआ वह हमारे और हमारे पड़ोसी के लिए भी कीमती ही था ।
Explanation उस दिन मुझे एहसास हुआ की कितना कुछ और भी खराब हो सकता था इसलिए मुझे आग लगने के कारण जो हानि हुई उस पर दुखी होने की अपेक्षा जिस वजह से आग लगी थी उसमें सावधानी बरतनी चाहिए थी । मेरी लापरवाही से यह सब घटा था इसलिए मैं दुखी हो रहा था साथ साथ स्वयं को अपराधी महसूस कर रहा था । पिताजी ने मुझे प्यार से समझाया और कहा" बेटा , देखो किसी भी काम में सावधानी बरतना आवश्यक है । कभी - कभी सावधानी रखने पर भी दुर्घटनाएं हो सकती है किंतु आग लगने के बाद हम सभी उसे बुझाने में जितने तत्पर रहते हैं उतने ही हमें आग लगने के कारणों से परिचित रहकर सतर्कता पूर्वक कार्य करने चाहिए ।" निष्कर्ष यही था कि कार्य को करते समय हमें सदैव तत्परता एवं सजगता रखनी चाहिए । परिणामत: आग लगने की संभावना ही समाप्त हो जाए ।
Answer:
Aag se Bachav ke tareeke
Explanation:
Aag agar dheemi ho to roki ja sakti hai.Aag kabhi kabhi prachand roop le leti hai aur us samay so bhayanak tabahi Marcha deti hai.Us samay aag ko rok pana namumkin hota hai.
Isolate behtar hota ki hum hamesha aag lagne ke karano up jaankr aag lagne hi naa dein.Hamesha paani ka intezam rakhein aur ghar main fire extinguisher zarur rakhein