Hindi, asked by akshobhyakamble557, 6 months ago

आगाखा महल में खाने-पीने की कोई तकलीफ नहीं थी। इता की इृष्टि से भी स्थान अच्छा था। महात्मा जा का साथ भी
था। कितु कस्तूरबा के लिए यह विचार ही असह्य हआ कि मैं कैद में हूँ।' उन्होंने कई बार कहा-मुझे यहाँ का वैभव
कतई नहीं चाहिए, मुझे तो सेवाग्राम की कृटिया ही पसंद है। सरकार ने उनके शरीर को कैद रखा किंतु उनकी आत्मा
का वह कद सहन नहीं हुई। जिस प्रकार पिंजडे का पक्षी प्राणों का त्याग करके बंधनमुक्त हा जाता है उसा प्रकार
कस्तूरबा सरकार की कैद में अपना शरीर छोडा और वह स्वतंत्र हुईं। उनके इस मूक किंतु तेजस्वी बलिदान के कारण
अंग्रेजी साम्राज्य की नींव ढीली हुई और हिंदुस्तान पर उनकी हुकूमत कमजोर हुई।
कस्तूरबा ने अपनी कृतिनिष्ठा के द्वारा यह दिखा दिया कि शुद्ध और रोचक साहित्य के पहाड़ों की अपेक्षा कृति का एक
कण अधिक मूल्यवान और आबदार होता है। शब्दशास्त्र में जो लोग निपुण होते हैं, उनको कर्तव्य-अकर्तव्य की हमेशा
ही विचिकित्सा करनी पड़ती है। कृतिनिष्ठि लोगों को ऐसी दुविधा कभी परेशान नहीं कर पाती। कस्तूरबा के सामने उनका
कर्तव्य किसी दीये के समान स्पष्ट था। कभी कोई चर्चा शुरू हो जाती तब 'मुझसे यही होगा' और 'यह नहीं होगा-इन दो
वाक्यों में अपना ही फेसला सुना देतीं।
(क)सुविधाओं के बीच भी कैदी होने का विचार किससे नहीं सहा जा रहा था?
ने
कस्तूरबा गांधी से
(ii)
अरुण गाँधी से
नकुल गाँधी से
उपरोक्त सभी

(ख)कस्तूरबा गांधी अपनी स्पष्टवादिता किस तरह प्रकट कर देती थीं?
(i)
गुस्से से
रोकर
चिल्लाकर

दो वाक्यों मुझसे यही होगा' और 'यह नहीं होगा' द्वारा
(ग) कस्तूरवा के लिए कोन सा विचार असह्य था ?
मैं स्वतंत्र हूँ
(i)
मैं बीमार हूँ
(ii)
मै कैद में हूँ
मैं लाचार हूँ
(घ) किस कारण अंग्रेजी साम्राज्य की नींव ढीली हुई ?
कस्तूरबा गांधी के क्रोध के कारण
उनके मूक किंतु तेजस्वी बलिदान के कारण
उनकी लड़ाई के कारण


उनकी पैदल यात्रा के कारण
(ङ)किन लोगों को कर्तव्य-अकर्तव्य की हमेशा ही विचिकित्सा करनी पड़ती है?

Answers

Answered by Saurabhroyal
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Answer:

Ada question ai ahi ata

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