‘‘आग रोदटयााँ सेंकने के मलए है।
जलने के मलए नह ं”।
इन पंजक्तयों में समाि में स्री की ककस जस्र्तत की ओि संके त ककया गया ै?
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इन पंक्तियों में समाज में स्त्रियों की कमज़ोर स्थिति और ससुराल में परिजनों द्वारा शोषण करने की ओर संकेत किया गया है। कभी-कभी बहुएँ इस शोषण से मुक्ति पाने के लिए स्वयं को आग के हवाले करके अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेती है।
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