आगंतुक नामक जंतु पर कहानी लिखिए
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आगंतुक नामक जंतु
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आगंतुक का अर्थ होता है अतिथि।हमारे शास्त्रों में अतिथि को भगवान के समान माना गया है।ऐसा कहा जाता है कि यदि आपके घर दुश्मन भी अतिथि बनके आए तो उसका भी स्वागत और खातिर करें ।इसीलिए हम हर मेहमान के आने पर बोहोत खुश होते हैं और उनका बोहोत स्वागत सत्कार करते हैं।
लेकिन आज के समय में अतिथियों का मिजाज भी बदल रहा है।यदि ज़्यादा खातिर करी तो वो जाते ही नहीं।उनको लगता है कि अच्छा है अपने घर के काम से कुछ दिन आराम है।
एक बार की बात है एक राजा थे सुमेधू।वो बेहद दयालु थे।सुमेधु मनवेदा राज्य के राजा थे।वो सभी सत्कार करते थे। लेकिन एक बार वो भी एक आगंतुक के कारण बोहोत परेशान हुए।एक बार उनके द्वार पर एक बोहोत ज्ञानी साधु आए।वो कुछ दिन तो बोहोत आराम से रहे।राजा सुमेढू और रानी फलसेना ने उनकी खातिर में कोई कमी नहीं रखी।लेकिन ये क्या साधु महाराज एक महीने तक रुके रहे और जाने का नाम नहीं लिया।राजा भी परेशान हो गए की में राज्य संभालूं या इनकी खातिर में लगा रहूं।
बोहोत मुश्किल से जब पूरे दो महीने खातिर करवा की तब साधु मनवेधा राज्य से गए।
आगंतुक को समझना चाहिए कि सामनेवाला अपना कामकाज नहीं करके केवल हमारी खातिर में थोड़ी लगा रहेगा।इसीलिए केवल कुछ दिन ही रुकना चाहिए फिर अपने घर वापस आ जाना चाहिए वरना खातिर करनेवाला समान नहीं करता