आगम्य का धातु और प्रत्यय बताये
Answers
Answer:
प्रश्न 1.
अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृति-प्रत्ययौ लिखतु- (निम्नलिखित पदों में प्रकृति-प्रत्यय लिखिए-)
(i) नीत्वा, (ii) आगम्य, (iii) पठित्वा, (iv) सम्भूय, (v) अर्चितः, (vi) स्नातवत्, (vii) त्यक्तः, (xiii) गच्छत्, (ix) ददानः, (xi) कुर्वाण:, (xii) द्रष्टव्यम्, (xiii) भनीयम्, (xiv) पातुम्, (xv) कारकः, (xvi) ज्ञेयः, (xii) मन्त्री, (xviii) स्तुतिः।
उत्तर:
(i) नी + क्त्वा (ii) आ + गम् + ल्यप् (iii) पठ् + क्त्वा (iv) सम् + भू + ल्यप् (v) अर्च + क्त (vi) स्नात् + क्तवतु (vii) त्यज् + क्त (viii) गम् + शतृ (ix) दा + शानच् (x) हृ + शतृ (xi) कृ + शानच् (xii) दृश् + तव्यत् (xiii) भू + अनीयर् (xiv) पा + तुमुन् (xv) कृ + ण्वुल् (xvi) ज्ञा + यत् (xvii) मन्त्र + णिनि (xviii) स्तुत् + ङीष्
Answer:
संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं (verbs) के मूल रूप को धातु कहते हैं। ... दूसरे शब्द में कहें तो संस्कृत का लगभग हर शब्द अन्ततः धातुओं के रूप में तोड़ा जा सकता है। कृ, भू, स्था, अन्, ज्ञा, युज्, गम्, मन्, जन्, दृश् आदि कुछ प्रमुख धातुएँ हैं। 'धातु' शब्द स्वयं 'धा' में 'तिन्' प्रत्यय जोड़ने से बना है।