आह मेरा गोपालक देश महादेवी वर्मा ने नि:शवास छोड़ते हुए ऐसा क्यों कहा है
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प्रश्न 1.
प्रस्तुत रेखाचित्र के अनुसार गौरा के शारीरिक सौन्दर्य और मृदुल स्वभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
‘गौरा’ लेखिका के घर पली हुई गाय की बछिया थी। वह अत्यन्त सुन्दर एवं आकर्षक थी। पुष्ट लचीले पैर, भरे पुढे, चिकनी भरी हुई पीठ,लम्बी सुडौल गर्दन, निकलते हुए छोटे-छोटे सींग, भीतर की लालिमा की झलक देते हुए कमल की दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान, लम्बी और अंतिम छोर पर सघन चामर का बोध कराने वाली पूँछ, सब कुछ साँचे में ढला हुआ-सा था। गाय को मानो इटैलियन मार्बल में तराशकर उस पर ओप दी गई हो। गौरा के गौर-वर्ण को देखकर ऐसा लगता था, मानो उसके रोमों पर अभ्रक का चूर्ण मल दिया गया हो, जिसके कारण जिधर आलोक पड़ता था, उधर विशेष चमक पैदा हो जाती थी। गौरा वास्तव में बहुत प्रियदर्शन थी, विशेषकर उसकी काली बिल्लौरी आँखों का तरल सौन्दर्य तो दृष्टि को बाँधकर स्थिर कर देता था। चौड़े, उज्ज्वल माथे और लम्बे मुख पर आँखें बर्फ में नीले जल के कुण्डों के समान लगती थीं।
अपने आगमन के कुछ ही दिनों में गौरा लेखिका के घर में पल रहे अन्य पशु-पक्षियों से इतनी घुल-मिल गई कि वे सभी अपनी लघुता एवं विशालता का अन्तर भूलकर उसके पेट के नीचे,पैरों के मध्य एवं पीठ और माथे पर बैठकर उसके साथ खेलने लगे। यह उसके मृदुल स्वभाव का ही चमत्कार था कि प्रत्येक जीव उसमें अपना सगा-सहोदर देखने लगता है।