आहार – आयोजन करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
Answers
Explanation:
पोषण सिद्धांत के अनुसार-आहार आयोजन करते समय गृहणी को पोषण के सिद्धांतों को ध्यान मेंरखते हुए आहार आयोजन करना चाहिये अर्थात् आहार आयु के अनुसार, आवश्यकताके अनुसार तथा आहार में प्रत्येक भोज्य समूह के खाद्य पदार्थों का उपयोग होनाचाहिये।
परिवार के अनुकूल आहार-भिन्न-भिन्न दो परिवारों के सदस्यों की रूचियाँ तथा आवश्यकता एक दूसरेसे अलग-अलग होती है। अत: आहार, परिवार की आवश्यकताओं के अनुकूलहोना चाहिये। जैसे उच्च रक्त चाप वाले व्यक्ति के लिये बिना नमक की दालनिकाल कर बाद में नमक डालना। भिन्न-भिन्न परिवारों में एक दिन में खाये जानेवाले आहार की संख्या भी भिन्न-भिन्न होती है। उसी के अनुसार पोषक तत्वों कीपूर्ति होनी चाहिये। जैसे कहीं दो बार नाश्ता और दो बार भोजन, जबकि कुछपरिवारों में केवल भोजन ही दो बार किया जाता है।
आहार में नवीनता लाना-एक प्रकार के भोजन से व्यक्ति का मन ऊब जाता है। चाहे वह कितना हीपौष्टिक आहार क्यों न हो। इसलिये गृहणी भिन्न-भिन्न तरीकों, भिन्न-भिन्न रंगों,सुगंध तथा बनावट का प्रयोग करके भोजन में प्रतिदिन नवीनता लाने की कोशिशकरना चाहिये।
तृप्ति दायकता-वह आहार जिसे खाने से संतोष और तृप्ति का एहसास होता है। अर्थात् एकआहार लेने के बाद दूसरे आहार के समय ही भूख लगे अर्थात् दो आहारों के अंतरको देखते हुए ही आहार का आयोजन करना चाहिये। जैसे दोपहर के नाश्ते औररात के भोजन में अधिक अंतर होने पर प्रोटीन युक्त और वसा युक्त नाश्तातृप्तिदायक होगा।
समय शक्ति एवं धन की बचत-समयानुसार, विवेकपूर्ण निर्णय द्वारा समय, शक्ति और धन सभी की बचतसंभव है। उदाहरण- छोला बनाने के लिये पूर्व से चने को भिगा देने से और फिरपकाने से तीनों की बचत संभव है।
Explanation:
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पोषण सिद्धांत के अनुसार-आहार आयोजन करते समय गृहणी को पोषण के सिद्धांतों को ध्यान मेंरखते हुए आहार आयोजन करना चाहिये अर्थात् आहार आयु के अनुसार, आवश्यकताके अनुसार तथा आहार में प्रत्येक भोज्य समूह के खाद्य पदार्थों का उपयोग होनाचाहिये।
परिवार के अनुकूल आहार-भिन्न-भिन्न दो परिवारों के सदस्यों की रूचियाँ तथा आवश्यकता एक दूसरेसे अलग-अलग होती है। अत: आहार, परिवार की आवश्यकताओं के अनुकूलहोना चाहिये। जैसे उच्च रक्त चाप वाले व्यक्ति के लिये बिना नमक की दालनिकाल कर बाद में नमक डालना। भिन्न-भिन्न परिवारों में एक दिन में खाये जानेवाले आहार की संख्या भी भिन्न-भिन्न होती है। उसी के अनुसार पोषक तत्वों कीपूर्ति होनी चाहिये। जैसे कहीं दो बार नाश्ता और दो बार भोजन, जबकि कुछपरिवारों में केवल भोजन ही दो बार किया जाता है।
आहार में नवीनता लाना-एक प्रकार के भोजन से व्यक्ति का मन ऊब जाता है। चाहे वह कितना हीपौष्टिक आहार क्यों न हो। इसलिये गृहणी भिन्न-भिन्न तरीकों, भिन्न-भिन्न रंगों,सुगंध तथा बनावट का प्रयोग करके भोजन में प्रतिदिन नवीनता लाने की कोशिशकरना चाहिये।
तृप्ति दायकता-वह आहार जिसे खाने से संतोष और तृप्ति का एहसास होता है। अर्थात् एकआहार लेने के बाद दूसरे आहार के समय ही भूख लगे अर्थात् दो आहारों के अंतरको देखते हुए ही आहार का आयोजन करना चाहिये। जैसे दोपहर के नाश्ते औररात के भोजन में अधिक अंतर होने पर प्रोटीन युक्त और वसा युक्त नाश्तातृप्तिदायक होगा।
समय शक्ति एवं धन की बचत-समयानुसार, विवेकपूर्ण निर्णय द्वारा समय, शक्ति और धन सभी की बचतसंभव है। उदाहरण- छोला बनाने के लिये पूर्व से चने को भिगा देने से और फिरपकाने से तीनों की बचत संभव है।