'आह्वान' कविता के अनुसार आगे बढ़ने के लिए मनुष्य को किसका सहारा लेना चाहिए और क्यों
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Explanation:
अपठित काव्यांश वे काव्यांश हैं जिनका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है। इन काव्यांशों के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की भावग्रहण क्षमता को विकसित करना है।
इस प्रश्न में दो अपठित काव्यांश दिए जाएंगे जिसमें से एक काव्यांश को करना होगा। हर काव्यांश पर आधारित छह लघूत्तरात्मक प्रश्न होंगे जो एक-एक अंक के होंगे। प्रश्न के कुल अंक छह होंगे।
अपठित काव्यांश हल करने की विधि :
सर्वप्रथम काव्यांश का दो-तीन बार अध्ययन करें ताकि उसका अर्थ व भाव समझ में आ सके।
तत्पश्चात् काव्यांश से संबंधित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए।
प्रश्नों के पढ़ने के बाद काव्यांश का पुन: अध्ययन कीजिए ताकि प्रश्नों के उत्तर से संबंधित पंक्तियाँ पहचानी जा सकें।
प्रश्नों के उत्तर काव्यांश के आधार पर ही दीजिए।
प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट होने चाहिए।
उत्तरों की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए।
गत वर्षों के पूछे गए प्रश्नों
प्रश्न निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. तरुणाई है नाम सिंधु की उठती लहरों के गर्जन का,
चट्टानों से टक्कर लेना लक्ष्य बने जिनके जीवन का।
विफल प्रयासों से भी दूना वेग भुजाओं में भर जाता,
जोड़ा करता जिनकी गति से नव उत्साह निरंतर नाता।
पर्वत के विशाल शिखरों-सा यौवन उसका ही है अक्षय,
जिनके चरणों पर सागर के होते अनगिन ज्वार साथ लय।
अचल खड़े रहते जो ऊँचा, शीश उठाए तूफ़ानों में,
सहनशीलता दृढ़ता हँसती जिनके यौवन के प्राणों में।
वही पंथ बाधा को तोड़े बहते हैं जैसे हों निर्झर,
प्रगति नाम को सार्थक करता यौवन दुर्गमता पर चलकर।
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