आह! वेदना मिली विदाई मैंने भ्रम-वश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई। इस पंक्ति में कौनसा काव्य गुण है?
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आह! वेदना मिली विदाई मैंने भ्रम-वश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई। इस पंक्ति में कौनसा काव्य गुण है?
आह! वेदना मिली विदाई मैंने भ्रम-वश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई।
इस पंक्ति में ‘प्रसाद’ काव्य गुण है।
व्याख्या :
इन पंक्तियों में प्रसाद काव्य गुण है। प्रसाद काव्य गुण किसी काव्य में वहां प्रकट होता है, जब अपने भावों की अभिव्यक्ति को बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत प्रस्तुत किया जाए। जिस काव्य में वेदना, दुख हो, विषाद हो, शांति हो, वहाँ पर प्रसाद गुण प्रकट होता है।
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि की वेदना प्रकट हो रही है इसलिए इन पंक्तियों ने काव्य को प्रसाद काव्य गुण है।
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