"आह! वेदना मिली विदाई!
मैंने भ्रम यश जीवन संचित,
मधुकरियों की भीख लुटाई/
पंक्तियों में कौन सा काव्य गुण है ?
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आह! वेदना मिली विदाई!
मैंने भ्रम यश जीवन संचित,
मधुकरियों की भीख लुटाई।
¿ पंक्तियों में कौन सा काव्य गुण है ?
➲ इन पंक्तियों में प्रसाद गुण है।
✎... ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित ‘देवसेना के गीत’ की इन पंक्तियों में प्रसाद गुण प्रकट हो रहा है। जयशंकर प्रसाद अपने भावों की अभिव्यक्ति को बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। उनके द्वारा रचित किए गए शब्दों से ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे एक कठपुतली को भावों द्वारा प्राण फूंक दिए गए हों। उनकी भावुक अभिवयक्ति मार्मिकता से परिपूर्ण होती है। इन पंक्तियों में भी उनकी मार्मिकता स्पष्ट हो रही है।
पंक्ति में प्रसाद गुण तथा शैली में पांचाली रीति है, और रस की दृष्टि से इन पंक्तियों में ‘वियोग श्रंगार’ प्रकट हो रहा है।
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