aahvan kavita me rashtriya ekta ke paksh me vividh sumno ki mala ka udharhand diya gaya hai aap bhi esa hi koi upyukt udharhand dete huye uski sarthakta ka ullekh kijiye
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देश में एकता, समनता एवं हर चीज़ की स्वतंत्रता ही हमें संकर्षण बनाती है राष्ट्रीय एकता की स्थापना करने में।
हमारे देश में राष्ट्रीय एकता है लेकिन संपूर्ण रूप से अभी भी इस एकता की स्थापना नहीं हुई है। अभी भी देश में असमानता है, धर्म एवं जाति के नाम पर मतभेद हैं। अभी भी कुछ समाज में औरतों को स्वतंत्र आजादी नहीं मिली है।
जिस दिन यह सबकुछ ठीक होगा एवं समाज का हर आदमी खुश होगा और बिना किसी डर के आगे बढ़ेगा उस दिन देश में राष्ट्रीय एकता स्थापित होगी।
कोई भी राष्ट्र उन्नति के पथ पर तभी अग्रसर हो सकता है जब वह पूर्ण रूप से एकत्रित हो तथा उसमें बसने वाली जनता अपने राष्ट्र से प्रेम करें।
आह्वान कविता में राष्ट्रीय एकता का सुंदर वर्णन किया गया है। आजादी के दौरान जिस तरह से देश में राष्ट्रभक्ति की भावना का जागरण हुआ था और देश को आजादी मिली थी।
मानते हैं आज उस तरह का माहौल नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है कि देश भक्ति खत्म हो चुकी है आज भी हमारे जवान सरहद पर अपने देश की रक्षा के लिए सीना तान कर खड़े हैं।
देश में हर व्यक्ति भ्रष्टाचारी नहीं है हमें कदम कदम पर ऐसे ईमानदार और राष्ट्र प्रेमी व्यक्ति मिल जाते हैं जिनके क़िस्से हम अखबारों में पढ़ते हैं। आज भी बहुत से व्यापारी और कारोबारी राष्ट्र को उन्नत और समृद्ध बनाने के लिए ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं।
भारत विभिन्न धर्मों तथा विभिन्न प्रांतों का देश है यहां पर सभी खानपान और रीति-रिवाजों से अलग लोग रहते हैं लेकिन जब भी राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात आती है तो पूरा राष्ट्र एक साथ खड़ा हो जाता है।