आइ न सको तुझ पै, सकूँ न तुझ बुलाइ।
जियरा यौही लेहुगे, विरह तपाइ तपाइ।।
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ये कबीर का एक दोहा है।
It means...
मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकता और न हीं तुम्हें अपने पास बुला सकतर हुॅं।
क्या तुम मुझे अपने विरह में जलाकर मेरे प्राण लेलोगें?
I cannot come to you neither I can call you near me
You will take my life with the heat of your separation .
Hope it helps you ✌️✌️✌️
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