आइए अभ्यास करें
दिए गए अवतरणों के शीर्षक देते हुए उनके सार लिखिए।
1. मनुष्य तभी तक मनुष्य है, जब तक वह प्रकृति से ऊपर उठने के लिए संघर्ष करता रहता है। यह
प्रकृति दो प्रकार की है-अंतर् और बाह्य। बाह्य प्रकृति को अपने वश में कर लेना बड़ी अच्छी
और गौरव की बात है, पर अंत:प्रकृति पर विजय पा लेना उससे भी अधिक गौरव की बात है। ग्रहों
और तारों का नियमन करनेवाले नियमों का ज्ञान प्राप्त कर लेना गौरवपूर्ण है, पर मानव जाति की
वासनाओं, भावनाओं, और इच्छाओं का नियमन करनेवाले नियमों को जान लेना उससे अनंत गुणा
अधिक गौरवपूर्ण है।
दस गीदड़ों की अपेक्षा एक सिंह अच्छा है। सिंह सिंह है और गीदड़ गीदड़। यही स्थिति किसी
परिवार के उन सदस्यों की होती है, जिनकी संख्या आवश्यकता से अधिक हो। न भरपेट भोजन, न
तन ढकने के लिए वस्त्र। न अच्छी शिक्षा, न मनचाहा रोज़गार। गृहपति चिंता में डूबा रहता है। रात
की नींद और दिन का चैन गायब हो जाता है। बार-बार दूसरों पर निर्भर होने की विवशता है। सम्मान
और प्रतिष्ठा तो जैसे सपने की बातें हों। यदि दुर्भाग्यवश गृहपति न रहा तों आश्रितों का ठिकाना नहीं
इसलिए आवश्यक है कि परिवार छोटा हो।
३, प्रत्येक कार्य का एक अपना समय होता है। समय निकल जाने के बाद कार्य की न तो कोई शोभा रह
जाने पर फिर चाहे कितनी ही वर्षा क्यों
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