आइए विचार करें 7. किन परिस्थितियों में बंगाल में नील का उत्पादन धराशायी हो गया?
Answers
Answer with Explanation:
निम्नलिखित परिस्थितियों में बंगाल में नील का उत्पादन धराशायी हो गया :
(1) बंगाल में नील उत्पादक किसानों को ऋण दिया गया था किंतु उन्हें अपनी कुल जमीन के कम से कम 25% भाग पर की खेती करनी थी।
(2) बागान मालिक केवल हल एवं बीच उपलब्ध कराते थे। फसल की कटाई तक के बाकी सभी काम किसानों को करना पड़ता था।
(3) रैयतों को उनकी फसल की जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम होती थी। अपने पहले के ऋण को चुकाने के लिए अलग से ऋण लेना पड़ता था। अतः ऋण का यह चक्र लंबा चलता रहता था।
(4) बागान मालिकों का हमेशा दबाव रहता था कि नील की खेती सर्वाधिक उर्वरक भूमि पर की जाए। ऐसे में किसानों के पास धान की खेती के लिए उपयोग भूमि की कमी पड़ जाती थी।
(5) नील की फसल जमीन की उर्वरता को कम कर देती थी। नील की फसल जिस खेती में उगाई जाती थी उसमें धान की खेती कर पाना संभव नहीं होता था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
आइए करके देखें
9. भारत के शुरुआती चाय या कॉफी बागानों का इतिहास देखें। ध्यान दें कि इन बागानों में काम करने वाले मजदूरों और नील के बागानों में काम करने वाले मजदूरों के जीवन में क्या समानताएँ या फर्क थे।
https://brainly.in/question/11147557
आइए करके देखें
8. चंपारण आंदोलन और उसमें महात्मा गांधी की भूमिका के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठा करें।
https://brainly.in/question/11147562
बंगाल में नील के उत्पादन के धराशायी होने की परिस्थितियाँ
- मार्च 1859 में बंगाल के हजारों रैयतों ने नील की खेती करने से मना कर दिया।
- रैयतों ने निर्णय लिया कि न तो वे नील की खेती के लिए कर्ज लेंगे और न ही बागान मालिकों के लाठीधारी गुंडों से डरेंगे।
- कंपनी द्वारा किसानों को शांत करने और विस्फोटक स्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश को किसानों ने अपने विद्रोह का समर्थन माना।
- नील उत्पादन व्यवस्था की जाँच करने के लिए बनाए गए नील आयोग ने भी बाग़ान मालिकों को
- जोर-जबर्दस्ती करने का दोषी माना और आयोग ने किसानों को सलाह दी वे वर्तमान अनुबंधों को पूरा करें तथा आगे से वे चाहें तो नील की खेती को बंद कर सकते हैं।
- इस प्रकार बंगाल में नीले का उत्पादन धराशायी हो गया।