आई सीधी राह से , गई न सीधी राह । सुषुम - सेतु पर खड़ी थी , बीत गया दिन आह ! - जेब टटोली , कौड़ी न पाई । माझी को दूँ , क्या उतराई ?
1.कवयित्री को किस बात के लिए पछतावा हो रहा है और क्यों ?
2.कवयित्री किसके सामने परेशान है और क्यों ?
3.कवयित्री को जीवन के अंत में क्या प्राप्त हुआ ?
Answers
कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
कवयित्री के कच्चेपन के कारण उसके मुक्ति के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं अर्थात् वह इस संसारिकता तथा मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है ऐसे में वह प्रभु भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रहीं है। उसमें अभी पूर्ण रुप से प्रौढ़ता नहीं आई है। अत: उसे लगता है उसके द्वारा की जा रही सारी साधना व्यर्थ हुई जा रही है इसलिए उसके द्वारा मुक्ति के प्रयास भी विफल होते जा रहे हैं।
रस्सी' यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?
रस्सी यहाँ पर मानव के नाशवान शरीर के लिए प्रयुक्त हुई है और यह रस्सी कब टूट जाए कहा नहीं जा सकता है। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ सकता है ।
कवयित्री का 'घर जाने की चाह' से क्या तात्पर्य है?
कवयित्री का घर जाने की चाह से तात्पर्य है प्रभु से मिलना। कवयित्री इस भवसागर को पार करके अपने परमात्मा की शरण में जाना चाहती है क्योंकि जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है।