आईडेंटिफाई द पर्पस टू कान्वेंट द विनी कांग्रेस 1950 फ्रॉम द फॉलोइंग ऑप्शंस
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इंदिरा गांधी को परिवार के माहौल में राजनीतिक विचारधारा विरासत में प्राप्त हुई थी। 1941 में ऑक्सफोर्ड से भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं। सन् 1947 के भारत विभाजन के दौरान उन्होंने शरणार्थी शिविरों को संगठित करने तथा पाकिस्तान से आए लाखों शरणार्थियों के लिए चिकित्सा संबंधी देखभाल प्रदान करने में मदद की। उनके लिए प्रमुख सार्वजनिक सेवा का यह पहला मौका था। धीरे-धीरे पार्टी में उनका कद काफी बढ़ गया।
42 वर्ष की उम्र में 1959 में वह कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी बन गईं। इस पर कई आलोचकों ने दबी जुबान से पंडित नेहरू को पार्टी में परिवारवाद फैलाने का दोषी ठहराया था। फिर 27 मई 1964 को नेहरू के निधन के बाद इंदिरा चुनाव जीतकर सूचना और प्रसारण मंत्री बन गईं।
11 जनवरी 1966 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के बाद 24 जनवरी 1966 को श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की तीसरी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद तो वह लगातार तीन बार 1967-1977 और फिर चौथी बार 1980-84 देश की प्रधानमंत्री बनीं।
1967 के चुनाव में वह बहुत ही कम बहुमत से जीत सकी थीं लेकिन 1971 में फिर से वह भारी बहुमत से प्रधामंत्री बनीं और 1977 तक रहीं। 1977 के बाद वह 1980 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं और 1984 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहीं।
16 वर्ष तक देश की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के शासनकाल में कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन 1975 में आपातकाल 1984 में सिख दंगा जैसे कई मुद्दों पर इंदिरा गांधी को भारी विरोध-प्रदर्शन और तीखी आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी थी।
बावजूद इसके रूसी क्रांति के साल में पैदा हुईं इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध में विश्व शक्तियों के सामने न झुकने के
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