आईसीएस होना बड़ी बात नहीं है ईमानदारी और लगन के साथ अपने देश की सेवा करना यही बड़ी बात है किस क्रांतिकारी ने अपने बड़े भाई को पत्र में लिखा था
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चिन्मय कुमार घोष उर्फ श्री चिन्यम का जन्म 27 अगस्त 1931 को ईस्ट बंगाल (अब बांग्लादेश) में हुआ। वह आध्यात्मिक गुरु, लेखक, कवि और दार्शनिक थे। उन्होंने बचपन में ही माता-पिता को खो दिया था और पांडिचेरी में श्री अरबिंदो आश्रम में दर्शन, बांग्ला और अंग्रेजी की पढ़ाई की। वह ध्यान को ज्ञान प्राप्ति का जरिया मानते थे। 1964 में वह अमेरिका चले गए। उन्होंने अपनी जिंदगी के 43 साल पश्चिमी देशों में बिताए। उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने 1500 किताबें और करीब डेढ़ लाख कविताएं लिखीं और दो लाख पेंटिंग्स बनाईं।
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आईसीएस होना बड़ी बात नहीं है ईमानदारी और लगन के साथ अपने देश की सेवा करना यही बड़ी बात है किस क्रांतिकारी ने अपने बड़े भाई को पत्र में लिखा था।
आईपीएस होना बड़ी बात नहीं, इमानदारी और लगन के साथ अपने देश की सेवा करना यही बड़ी बात है। यह बात प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस ने अपने बड़े भाई शरतचंद्र बोस 1920 को लिखे पत्र कही थी।
सुभाष चंद्र बोस भारत के एक महान क्रांतिकारी थे, जिनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था। वह अपने पांच भाइयों में सबसे छोटे थे। उन्होंने प्राइमरी शिक्षा प्राप्त कर उच्च शिक्षा प्राप्त की और उनके पिता उन्हें आईसीएस बनाना चाहते थे। लेकिन वह क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़ गए।
पिता के आग्रह पर सुभाष चंद्र बोस ने आई सी एस की परीक्षा पहले प्रयास में पास कर ली और 1920 में वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त किया। लेकिन बाद में उन्होंने अपने बड़े भाई शरद चंद्र बोस को पत्र लिखकर कहा कि उनका उद्देश्य आईसीएस बनना नहीं बल्कि ईमानदारी और लगन के साथ अपने देश की सेवा करना है।
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