Aaj aapke sath kya mahatva ghatna ghatit Hui usse Diary ke roop Mein likhiye
Answers
1]परिक्षा मे कम अंक लाने पर अपने गुण-दोष की समीक्षा |
आज वार्षिक परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। इस बार फिर मैं द्वितीय स्थान पर ही आई। मुझे ऐसा लगता था कि इस बार मैं प्रथम स्थान प्राप्त करूँगी। अब मेरी समझ में आ रहा है कि हर बार मुझे दूसरा स्थान ही क्यों मिलता रहा है। मुझे स्मरण है कि मैंने चार-पाँच प्रश्नों के उत्तर कई बार काटकर लिखे हैं। ऑभर राइटिंग भी हुई है। मेरी लिखावट भी साफ-सुथरी नहीं होती है। एक बात और है, मुझमे आत्मविश्वास की जबर्दस्त कमी है। मैं कक्षा में भी चुपचाप बैठी रहती हूँ। यदि यही स्थिति रही तो निस्सन्देह, मैं हर जगह मात खा खा जाऊँगी। मुझे आत्मविश्वास जगाना ही होगा।
2] वार्षिक परीक्षा की तिथि की घोषणा पर होनेवाली प्रतिक्रिया।
आज वार्षिक परीक्षा की सूचना मिली। न जाने क्यूँ मन में तरह-तरह की आशंकाएँ तिरने लगीं। जब-जब परीक्षा की घोषणा होती है, दिल दहल जाता है। हर बार सोचता हूँ कि कक्षा में प्रथम स्थान लाने के लिए अपेक्षित मेहनत करूँगा; लेकिन दीर्घ सूत्रता के कारण असफल हो जाता हूँ। 'परीक्षा' शब्द से ही मन में झुरझुरी होने लगती है। ऐसा लगता है मानो कोई बड़ी दुर्घटना होनेवाली है। देखता हूँ, इस बार क्या होता है |
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Answer:
डायरी सिर्फ ऐसे ही निजी सत्यों को शब्द देने का ज़रिया हो, जिनकी जिंदगी और रूप में अभिव्यक्ति वर्जित है। वह एक तरह का व्यक्तिगत दस्तावेज़ भी है, जिसमें अपने जीवन के खास क्षणों, किसी समय विशेष में मन के अंदर कौंध जानेवाले विचारों, यादगार मुलाकातों और बहस-मुबाहिसों को हम दर्ज कर लेते हैं। अपनी कई तरह की स्मृतियों को हम कैमरे की मदद से भी रिकॉर्ड करते हैं, पर खुद अपना पाठ तैयार करना और जो कुछ घटित हुआ, सबकी कहानी कहना एक ऐसा तरीका है, जो हमें आनेवाले दिनों में उन लम्हों को दुबारा जीने का मौका देता है। आज की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में यह तरीका सचमुच नायाब है। जिंदगी की तेज़ रफ़्तार में इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि सतही और फ़ौरी किस्म की चिंताओं के अनवरत मामलों के बीच गहरे आशय वाली घटनाओं और वैचारिक उत्तेजनाओं को हम भूल जाएँ।