Hindi, asked by suhani1124, 5 hours ago

aaj aapne peheli baar hawai yaatra ki diary lekhan

please answer this ​

Answers

Answered by rajashriP01
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Answer:

जैसा अनुभव ऐलिस को “ऐलिस इन वंडरलैंड” में हुआ होगा।

जिस तरह व्यक्ति जीवन में अपना पहला प्यार कभी नही भूलता, उसी तरह मध्यमवर्गीय भारतीय अपनी पहली हवाई यात्रा नहीं भूलता।

मुझे भी अपनी पहली हवाई यात्रा अभी तक याद है। हालांकि मैं चौबीसवीं यात्रा तक गिनती भी रखता था। फ़िर दोहराव के कारण दूसरी चीजों की तरह हवाई यात्रा का आकर्षण भी लगभग खत्म सा हो गया।

मेरी पहली उड़ान इंदौर से मुम्बई के बीच थी। हवाई अड्डे पहुचने से लेकर यात्रा खत्म होने तक अनजाने ही मेरा दिमाग इसकी तुलना अब तक की गई रेल यात्राओं से कर रहा था।

हवाई अड्डे पहुँचने पर एक बड़े से बोर्ड पर उस समय का तापमान दिख रहा था। तापमान देख कर लगा की थोड़ी ठंड है।

टिकट और पहचान-पत्र दिखाकर हम अंदर दाखिल हुए। पहली यात्रा थी तो हम वक़्त से काफ़ी पहले ही आ गए।

यह जेट एयरवेज की उड़ान थी। सामान चेकइन करके हमने बोर्डिंग पास कलेक्ट किया।

उस समय इंदौर का हवाई अड्डा काफी छोटा हुआ करता था। देखकर थोड़ी निराशा हुई। हालांकि अभी नवनिर्मित हवाई अड्डा काफ़ी अच्छा बनाया है।

इंदौर में पहली बार लोगों को इतनी अंग्रेज़ी बोलते सुना था। अगर आप कभी इंदौर गए हों या जाएंगे तो नोटिस कर सकते हैं कि यहां का हिंदी उच्चारण काफी अलग और मज़ेदार है। अपनी अलग शब्दावली है। ख़ैर इस बारे मे फ़िर कभी।

नेचर्स कॉल तो नही थी फ़िर भी वाशरूम देखे बिना हवाई यात्रा का अनुभव कैसे पूरा होता सो अंदर चले गये। हवाई-जहाज़ में भी यही बात दोहराई।

विमान में एक छोटी डेरी-मिल्क और पानी की बोतल दी गयी।

एयर हॉस्टेस के सुरक्षा सम्बन्धी सारे निर्देश ध्यान से सुने। दोनों एयर होस्टेस पर बराबर ध्यान दिया, सुरक्षा से कतई समझौता नही। क्या करें मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी, पहले भी बता चुका हूं। अपना नोकिया 2600 भी स्विच ऑफ कर दिया।

बारहवीं की भौतिकी की कक्षा में जो पेट पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल की गणना की थी, आज प्रैक्टिकल भी हो गया।

खिड़की से बाहर देखना ऐसा प्रतीत होता था मानो स्वर्ग में आ गए हों। रुई के गोलों जैसे बादल। बीच-बीच में झांकती सूर्य की किरणें। कईं बार इच्छा हुई दरवाज़ा खोलकर बाहर निकल जाऊँ।

लगभग 55 मिनिट बाद हम मुम्बई पहुँच गये। बहुत ही कम समय लगा, अभी तो मन भी नहीं भरा था। एक पल लगा कहीं बेवकूफ तो नही बना रहे। ट्रैन से तो करीब चौदह घण्टे लग जाते हैं।

ये बचपन के मेले के झूले जैसा अनुभव था। हमेशा लगता था कि औरों से कम झुलाया गया। उनके राउंड ज़्यादा थे।

उड़ान खत्म होने पर पता चला अभिनेता राहुल बोस भी उसी विमान में थे।

उत्तर की लंबाई देखकर महसूस हो रहा है यात्रा से लम्बा उसका वृतांत हो गया है।

Explanation:

Answered by harisreemedicalskylm
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Answer:

yeah sure

i saw this now thats why i replay late

Explanation:

you can call me Advii

i am in 9th

from india, kerala

pls give your intro :)

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