Hindi, asked by panvelkarshravani, 3 months ago

aaj ka manusha 10 sentence on it​

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Answered by innocentmunda07
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आज का मनुष्य समझदार कम और स्वार्थी ज्यादा हो गया है। इसलिए इसके कर्म भी अब समझदारी भरे नहीं अपितु स्वार्थ भरे ज्यादा होने लगे हैं। शुभ कर्म तो आज का इंसान कर रहा है। मगर इसका उद्देश्य बदल गया है। यह अब मंदिर में अर्चना करने कम और याचना करने ज्यादा जाने लगा है।

आज का मनुष्य समझदार कम और स्वार्थी ज्यादा हो गया है। इसलिए इसके कर्म भी अब समझदारी भरे नहीं अपितु स्वार्थ भरे ज्यादा होने लगे हैं। शुभ कर्म तो आज का इंसान कर रहा है। मगर इसका उद्देश्य बदल गया है। यह अब मंदिर में अर्चना करने कम और याचना करने ज्यादा जाने लगा है। यह बात साध्वी दिव्यप्रगन्याश्रीजी ने आराधना भवन उपाश्रय में कही। उन्होंने कहा समझदारी की बातें करने वाला यह आदमी अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए कहां तक जा सकता है, कुछ कहा नहीं जा सकता। निम्नता का कोई ऐसा गर्त नहीं जहां आज का आदमी अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए न पहुंचा हो। स्वसुख के लिए किए जाना वाला प्रत्येक श्रेष्ठ कर्म भी स्वार्थ व परहित की दृष्टि से संपन्न प्रत्येक सामान्य कर्म भी परमार्थ है। स्वार्थ क्षणिक सुख है और परमार्थ शाश्वत आनंद। अत: स्वार्थ में नहीं परमार्थ में जीना सीखो।

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