aaj ki bachat Kal Ka Sukh par Apne vichar prakat kare
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जीवन में बचत अथवा संचय का उतना ही महत्व है जितना कि आमदनी का । मनुष्य की आमदनी कितनी ही अधिक हो परंतु यदि उसमें संचय की प्रवृत्ति नहीं है तो उसे समय-समय पर अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।
मनुष्य का जीवन विभिन्न उतार-चढ़ावों से परिपूर्ण होता है । सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं । करोड़पति व्यक्ति भी दूसरे पल ही कंगाली की अवस्था में पहुँच सकता है । इन परिस्थितियों में मनुष्य की बचत अथवा संचय की प्रवृत्ति उसे उबारने में विशेष सहायता प्रदान करती है ।
वास्तविक रूप में बचत आमदनी का ही एक रूप है ! थोड़ी सी सावधानी और विवेक से अनेक अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकता है तथा उस बचत को विशेष आवश्यकता की स्थिति में प्रयोग में लाया जा सकता है । प्राय: यह सुनने में आता है कि धनी व्यक्ति कंजूस होते हैं । परंतु यदि हम विवेकपूर्ण दृष्टि से देखें तो वे अनेक अनावश्यक खर्चों से बचते हैं । बिना बचत को पूर्ण महत्ता दिए हुए कोई भी व्यक्ति धनवान नहीं बन सकता है ।
पैसे अथवा धन की बचत ही महत्वपूर्ण है, आवश्यक नहीं; मनुष्य अनेक रूपों में जीवन में बचत कर सकता है । समय अत्यंत महत्वपूर्ण है । एक बार गुजरा हुआ समय दुबारा वापस नहीं लौटता है । अत: मनुष्य के लिए समय की बचत व उसके महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है ।
अपने छात्र जीवन में जो विद्यार्थी समय के महत्व को नहीं समझते हैं अपितु व्यर्थ में अपना समय गँवाते हैं वे जीवन पर्यंत कष्ट पाते हैं । वहीं दूसरी ओर वे छात्र जो समय को व्यर्थ नहीं गँवाते अपितु उसके महत्व को समझते हुए अपना सारा ध्यान अपनी शिक्षा व अपने व्यक्तित्व के विकास पर केंद्रित करते हैं वही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर या उच्च पदों पर आसीन होते हैं और एक गौरवान्वित व सफल जीवन व्यतीत करते हैं ।
मनुष्य के दैनिक जीवन की थोड़ी-थोड़ी बचत भी भविष्य में बड़ी राशि बन जाती है जिससे वह अपने सपनों को साकार कर सकता है अथवा कठिनाइयों के दौर में उनका सहारा ले सकता है । एक-एक करके लौख रुपए बनाना, एक साथ एक लाख रुपए पाने की तुलना में अधिक आसान व सहज है ।
वे व्यक्ति जो बचत को महत्व नहीं देते हैं वे प्राय: धन के अभाव में जीते हैं । आज सभी बड़ी कंपनियाँ भी छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहन देती हैं । सभी प्रमुख कार्यालयों में आर्थिक प्रबंधन हेतु अलग विभाग होता है जो अपने कार्यालय की आमदनी के साथ बचत का भी लेखा-जोखा रखता है ।
समय और धन की बचत के अतिरक्त ऊर्जा की बचत भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । देश की जनसंख्या दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है । आज हमारी जनसंख्या एक अरब के आँकड़े को पार कर गई है । दूसरी ओर हमारे ऊर्जा के संसाधन जैसे पेट्रोल, डीजल आदि सीमित हैं ।
इन परिस्थितियों में यदि हमने ऊर्जा संरक्षण अथवा उसकी बचत पर ध्यान नहीं दिया तो आगामी कुछ वर्षों में हम अत्यंत मुश्किलों में पड़ सकते हैं । अत: ऊर्जा की बचत किसी एक व्यक्ति या एक समाज के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण राष्ट्र या व्यापक अर्थों में पूरी मानव सभ्यता के लिए आवश्यक है ।
अत: बचत अथवा संचय किसी भी अवस्था में हो, चाहे वह धन की बचत हो या फिर समय व ऊर्जा की, सभी अवस्थाओं में इसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए । बचत हमारे सुखमय जीवन के लिए आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है । हमारी छोटी-छोटी बचत हमारा ही नहीं अपितु हमारे परिवार व आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करती है ।
यह एक पूर्ण यथार्थ है कि आज की बचत ही कल का सहारा है । हम सभी को बचत के महत्व को समझना चाहिए तथा यथासंभव धन, समय व ऊर्जा के दुरुपयोग से बचना चाहिए । वर्तमान में भारत सरकार ने भी अल्प बचत को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक आवश्यक कदम उठाए हैं । ऊर्जा संरक्षण हेतु समय-समय पर विज्ञापनों व दूरदर्शन के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है ।
भारतीय जीवन बीमा कंपनियों की सफलता बचत का ही एक रूप है । बैंक व अन्य निजी संस्थाएँ भी अल्प बचत के प्रोत्साहन हेतु समय-समय पर नई योजनाएँ तैयार करती रहती हैं । महानगरों व शहरों के अतिरिक्त ग्रामीण अंचलों में भी बचत को प्रोत्साहन देने हेतु व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान छेड़ा जा रहा है । निस्संदेह हमारी आज की बचत हमारे आने वाले कल को अधिक सुखमय बनाने में सहायक सिद्ध होगी ।
मनुष्य का जीवन विभिन्न उतार-चढ़ावों से परिपूर्ण होता है । सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं । करोड़पति व्यक्ति भी दूसरे पल ही कंगाली की अवस्था में पहुँच सकता है । इन परिस्थितियों में मनुष्य की बचत अथवा संचय की प्रवृत्ति उसे उबारने में विशेष सहायता प्रदान करती है ।
वास्तविक रूप में बचत आमदनी का ही एक रूप है ! थोड़ी सी सावधानी और विवेक से अनेक अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकता है तथा उस बचत को विशेष आवश्यकता की स्थिति में प्रयोग में लाया जा सकता है । प्राय: यह सुनने में आता है कि धनी व्यक्ति कंजूस होते हैं । परंतु यदि हम विवेकपूर्ण दृष्टि से देखें तो वे अनेक अनावश्यक खर्चों से बचते हैं । बिना बचत को पूर्ण महत्ता दिए हुए कोई भी व्यक्ति धनवान नहीं बन सकता है ।
पैसे अथवा धन की बचत ही महत्वपूर्ण है, आवश्यक नहीं; मनुष्य अनेक रूपों में जीवन में बचत कर सकता है । समय अत्यंत महत्वपूर्ण है । एक बार गुजरा हुआ समय दुबारा वापस नहीं लौटता है । अत: मनुष्य के लिए समय की बचत व उसके महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है ।
अपने छात्र जीवन में जो विद्यार्थी समय के महत्व को नहीं समझते हैं अपितु व्यर्थ में अपना समय गँवाते हैं वे जीवन पर्यंत कष्ट पाते हैं । वहीं दूसरी ओर वे छात्र जो समय को व्यर्थ नहीं गँवाते अपितु उसके महत्व को समझते हुए अपना सारा ध्यान अपनी शिक्षा व अपने व्यक्तित्व के विकास पर केंद्रित करते हैं वही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर या उच्च पदों पर आसीन होते हैं और एक गौरवान्वित व सफल जीवन व्यतीत करते हैं ।
मनुष्य के दैनिक जीवन की थोड़ी-थोड़ी बचत भी भविष्य में बड़ी राशि बन जाती है जिससे वह अपने सपनों को साकार कर सकता है अथवा कठिनाइयों के दौर में उनका सहारा ले सकता है । एक-एक करके लौख रुपए बनाना, एक साथ एक लाख रुपए पाने की तुलना में अधिक आसान व सहज है ।
वे व्यक्ति जो बचत को महत्व नहीं देते हैं वे प्राय: धन के अभाव में जीते हैं । आज सभी बड़ी कंपनियाँ भी छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहन देती हैं । सभी प्रमुख कार्यालयों में आर्थिक प्रबंधन हेतु अलग विभाग होता है जो अपने कार्यालय की आमदनी के साथ बचत का भी लेखा-जोखा रखता है ।
समय और धन की बचत के अतिरक्त ऊर्जा की बचत भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । देश की जनसंख्या दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है । आज हमारी जनसंख्या एक अरब के आँकड़े को पार कर गई है । दूसरी ओर हमारे ऊर्जा के संसाधन जैसे पेट्रोल, डीजल आदि सीमित हैं ।
इन परिस्थितियों में यदि हमने ऊर्जा संरक्षण अथवा उसकी बचत पर ध्यान नहीं दिया तो आगामी कुछ वर्षों में हम अत्यंत मुश्किलों में पड़ सकते हैं । अत: ऊर्जा की बचत किसी एक व्यक्ति या एक समाज के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण राष्ट्र या व्यापक अर्थों में पूरी मानव सभ्यता के लिए आवश्यक है ।
अत: बचत अथवा संचय किसी भी अवस्था में हो, चाहे वह धन की बचत हो या फिर समय व ऊर्जा की, सभी अवस्थाओं में इसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए । बचत हमारे सुखमय जीवन के लिए आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है । हमारी छोटी-छोटी बचत हमारा ही नहीं अपितु हमारे परिवार व आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करती है ।
यह एक पूर्ण यथार्थ है कि आज की बचत ही कल का सहारा है । हम सभी को बचत के महत्व को समझना चाहिए तथा यथासंभव धन, समय व ऊर्जा के दुरुपयोग से बचना चाहिए । वर्तमान में भारत सरकार ने भी अल्प बचत को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक आवश्यक कदम उठाए हैं । ऊर्जा संरक्षण हेतु समय-समय पर विज्ञापनों व दूरदर्शन के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है ।
भारतीय जीवन बीमा कंपनियों की सफलता बचत का ही एक रूप है । बैंक व अन्य निजी संस्थाएँ भी अल्प बचत के प्रोत्साहन हेतु समय-समय पर नई योजनाएँ तैयार करती रहती हैं । महानगरों व शहरों के अतिरिक्त ग्रामीण अंचलों में भी बचत को प्रोत्साहन देने हेतु व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान छेड़ा जा रहा है । निस्संदेह हमारी आज की बचत हमारे आने वाले कल को अधिक सुखमय बनाने में सहायक सिद्ध होगी ।
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इसी आधार पर यह भी स्पष्ट कहा और समझा जा सकता है कि आज की बचत ही कल या भविष्य के हमारे जीवन का सुख बन सकती है ! यह शक्ति, यह स्थिति नहीं भी रह सकती । तब यदि मनुष्य ने अपनी कमाई से कुछ बचाकर नहीं रखा होगा, तो बहुत संभव है कि कोई भी उसकी सहायता करने न आए। उसे लाचारी में भूखा मर जाना पड़े
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