Aaj ki siksha pranali ke sakaratmak prabhav pr do chatro ke beech samvad Ko 50 sabdo ma likhe
Answers
Answered by
1
You can use the following points.. Please mark me as the brainliest if you find it useful..
Attachments:
Answered by
0
समुदाय का अर्थ और परिभाषा
समुदाय का अर्थ – समुदाय को आंग्ल भाषा में कम्युनिटी कहते हैं जो “काम” तथा “म्युनिस” दो शब्दों से मिलकर बनता है।com का अर्थ है – एक साथ तथा “Munis” का अर्थ है “सेवा करना”।इस प्रकार कम्युनिटी अथवा समुदाय का अर्थ व्यक्तिओं के उस पड़ौस से हैं जिसमें वे रहते हैं अथवा समुदाय दो या दो व्यक्तिओं का ऐसा समूह है जो एकता अथवा समदुयिक भावना के जागृत हो जाने से किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में सामान्य जीवन की सामान्य नियमों द्वारा व्यतीत करने के लिए स्वत: ही विकसित हो जाती है।इस प्रकार समुदाय के निर्माण एवं स्थायित्व की दृष्टि से दो या दो से अधिक व्यक्ति, निश्चित भौगोलिक क्षेत्र समुदायिक भावना सामान्य जीवन तथा नियमों आदि तत्वों का होना परम आवश्यक है।समुदाय का क्षेत्र छोटा से छोटा भी हो सकता है और बड़े से बड़ा भी।सामान्यता: समुदाय का क्षेत्र उसके समुदायों की आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनितिक समानताओं पर निर्भर करता है।अत: एक गाँव, नगर, अथवा राष्ट्र में दो या दो से अधिक जिनते भी व्यक्ति एकता के सूत्र में बढ़कर सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सामान्य जीवन व्यतीत करते हो, सभी मिलकर एक समुदाय का निर्माण करते हैं |
समुदाय शिक्षा संस्थान के रूप में
प्रत्येक समुदाय की अनेक आवश्यकतायें तथा समस्यायें होती है।इन आवश्यकताओं की पूर्ति एवं समस्यायों के समाधान के समुदाय का रहन-सहन ऊँचा उठता है तथा वह दिन-प्रतिदिन प्रगति की ओर अग्रसर होता है।जो समुदाय उचित शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर पाता वह अपने सीमित क्षेत्र में अपनी सीमित आवश्यताओं और ढंगों वाली संस्कृति से ही लिपटा रहता है।इससे उसकी निर्धनता ज्यों की त्यों बनी रहती है।अत: प्रत्येक समुदाय अपनी प्रगति के लिएय नई पीढ़ी को अच्छी से अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रयास करता है।यही कारण है कि प्राचीन काल से लेकर अब तक समुदाय ने अपने प्रगति के लिए राजनितिक एवं आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा सदैव अपने आदर्शों और उद्देश्यों के अनुसार मोड़ा है तथा अब भी मोड़ रहा है।इसलिए स्कूल को समाज लघुरूप की संज्ञा दी जाती है।ध्यान देने की बात है कि समुदाय शिक्षा संस्था के रूप में बालक को औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों रूप से शिक्षित करता है।निम्नलिखित पक्तिओं में हम शिक्षा संस्था के रूप में समुदाय के महत्व तथा उसके द्वारा बालक पर पड़ने वाले प्रभावों एवं कार्यों पर प्रकश डाल रहें हैं –
बालक की शिक्षा में समुदाय का महत्व
समुदाय ब्लाक की शिखा का एक महत्वपूर्ण सक्रिय तथा अनौपचारिक साधन हैं।जिस प्रकार बालक की शिक्षा पर परिवार तथा स्कूल का गहरा प्रभाव पड़ता है, उसी प्रकार समुदाय भी बालक के व्यवहार में इस प्रकार से परिवर्तन करता है कि वह उस समूह के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने के योग्य बन जाता है जिसका वह सदस्य है।इसलिए यह कहावत अब भी चली आ रही है कि प्रत्येक बालक वैसा ही बन जाता है जैसा कि समुदाय के बड़े लोग उसे बनाना चाहते हैं।वास्तविक यह है की बालक जन्म से लेकर केवल पारिवारिक वातावरण में ही विकसित नहीं होता अपितु उसके विकास में समुदाय के विस्तृत वातावरण का भी गहरा प्रभाव पड़ता है।ये समुदाय के वातावरण को ही तो चमत्कार जिसमें रहते हुए बालक की प्रवृति, विचारधारा तथा आदतों का निर्माण होता है एवं उसकी संस्कृति, रहन-सहन तथा भाषा पर एक अमित छाप दिखाई पड़ती है।ध्यान देने की बात है कि समुदाय का वातावरण बालक की अनुकरण करने की जन्मजात प्रवृति को विशेष रूप से प्रभावित करता है।इसीलिए बालक उन लोगों का अनुकरण करने लगता है।जिनके कि वह सम्पर्क में आता है यदि वह अपने गाँव या नगर में रहने वाले गवैयों के सम्पर्क में आता है तो तो उसे गाने में रूचि उत्पन्न हो जाती है।ऐसे ही यदि वह श्रमिकों के सम्पर्क में आता है, तो उसे श्रम के प्रति श्रद्धा होने लगती है।इस प्रकार मेलों, जुलूसों, तथा उत्सवों एवं समुदाय के विभिन्न कार्यों में या तो सक्रिय रूप में भाग लेते हुए अथवा अनुकरण द्वारा बालक हर समय कुछ न कुछ सीखता ही रहता है।कहने का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक बालक पर उस समुदाय का प्रभाव पड़े बिना किसी भी दशा में नहीं रह सकता जिसका कि वह सदस्य है।चूँकि प्रत्येक समुदाय की भाषा तथा संस्कृति अलग-अलग होती है, इसलिए प्रत्येक समुदाय के बालकों की संस्कृति भाषा तथा दृष्टिकोण एवं व्यवहार में स्पष्ट अन्तर दिखाई पड़ता है।इस दृष्टि से परिवार तथा स्कूल की भांति समुदाय भी बालक की शिक्षा का एक महत्वपर्ण साधन है।विलियम ए० ईगर ने ठीक ही लिखा है – “ चूँकि स्वाभाव से मानव सामाजिक प्राणी है, इसलिए उसमें वर्षों के अनुभव से सीख लिया है कि व्यक्तित्व तथा समहुहिक क्रियाओं का विकास सर्वोतम रूप में समुदाय द्वारा ही किया जा सकता है।“
बालक पर समुदाय के शैक्षिक प्रभाव
प्रत्येक समुदाय बालक पर औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के प्रभाव डालता है।निम्नलिखित पक्तियों में हम बालक पर समुदाय के औपचारिक प्रभावों पर प्रकाश डाल रहें हैं -
1) शारीरिक विकास पर प्रभाव – यूँ तो बालक के शारीरिक विकास पर परिवार तथा स्कूल आदि संस्थाओं का भी गहरा प्रभाव पड़ता है, परन्तु इस सम्बन्ध में समुदाय के वातावरण का प्रभाव भी कुछ कम नहीं पड़ता है।समुदाय स्थानीय संस्थाओं का निर्माण करता है।ऐसी संस्थाएं गांवों तथा नगरों के मौहल्लों एवं गली-कूंचों में सफाई का प्रबन्ध करती है और जगह-जगह पर बागों एवं पार्कों की
उम्मीद करता हु आपको अच्छा लगा होगा
अगर अछा लगा तोह इस उत्तर को brilliant बनाये
समुदाय का अर्थ – समुदाय को आंग्ल भाषा में कम्युनिटी कहते हैं जो “काम” तथा “म्युनिस” दो शब्दों से मिलकर बनता है।com का अर्थ है – एक साथ तथा “Munis” का अर्थ है “सेवा करना”।इस प्रकार कम्युनिटी अथवा समुदाय का अर्थ व्यक्तिओं के उस पड़ौस से हैं जिसमें वे रहते हैं अथवा समुदाय दो या दो व्यक्तिओं का ऐसा समूह है जो एकता अथवा समदुयिक भावना के जागृत हो जाने से किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में सामान्य जीवन की सामान्य नियमों द्वारा व्यतीत करने के लिए स्वत: ही विकसित हो जाती है।इस प्रकार समुदाय के निर्माण एवं स्थायित्व की दृष्टि से दो या दो से अधिक व्यक्ति, निश्चित भौगोलिक क्षेत्र समुदायिक भावना सामान्य जीवन तथा नियमों आदि तत्वों का होना परम आवश्यक है।समुदाय का क्षेत्र छोटा से छोटा भी हो सकता है और बड़े से बड़ा भी।सामान्यता: समुदाय का क्षेत्र उसके समुदायों की आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनितिक समानताओं पर निर्भर करता है।अत: एक गाँव, नगर, अथवा राष्ट्र में दो या दो से अधिक जिनते भी व्यक्ति एकता के सूत्र में बढ़कर सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सामान्य जीवन व्यतीत करते हो, सभी मिलकर एक समुदाय का निर्माण करते हैं |
समुदाय शिक्षा संस्थान के रूप में
प्रत्येक समुदाय की अनेक आवश्यकतायें तथा समस्यायें होती है।इन आवश्यकताओं की पूर्ति एवं समस्यायों के समाधान के समुदाय का रहन-सहन ऊँचा उठता है तथा वह दिन-प्रतिदिन प्रगति की ओर अग्रसर होता है।जो समुदाय उचित शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर पाता वह अपने सीमित क्षेत्र में अपनी सीमित आवश्यताओं और ढंगों वाली संस्कृति से ही लिपटा रहता है।इससे उसकी निर्धनता ज्यों की त्यों बनी रहती है।अत: प्रत्येक समुदाय अपनी प्रगति के लिएय नई पीढ़ी को अच्छी से अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रयास करता है।यही कारण है कि प्राचीन काल से लेकर अब तक समुदाय ने अपने प्रगति के लिए राजनितिक एवं आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा सदैव अपने आदर्शों और उद्देश्यों के अनुसार मोड़ा है तथा अब भी मोड़ रहा है।इसलिए स्कूल को समाज लघुरूप की संज्ञा दी जाती है।ध्यान देने की बात है कि समुदाय शिक्षा संस्था के रूप में बालक को औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों रूप से शिक्षित करता है।निम्नलिखित पक्तिओं में हम शिक्षा संस्था के रूप में समुदाय के महत्व तथा उसके द्वारा बालक पर पड़ने वाले प्रभावों एवं कार्यों पर प्रकश डाल रहें हैं –
बालक की शिक्षा में समुदाय का महत्व
समुदाय ब्लाक की शिखा का एक महत्वपूर्ण सक्रिय तथा अनौपचारिक साधन हैं।जिस प्रकार बालक की शिक्षा पर परिवार तथा स्कूल का गहरा प्रभाव पड़ता है, उसी प्रकार समुदाय भी बालक के व्यवहार में इस प्रकार से परिवर्तन करता है कि वह उस समूह के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने के योग्य बन जाता है जिसका वह सदस्य है।इसलिए यह कहावत अब भी चली आ रही है कि प्रत्येक बालक वैसा ही बन जाता है जैसा कि समुदाय के बड़े लोग उसे बनाना चाहते हैं।वास्तविक यह है की बालक जन्म से लेकर केवल पारिवारिक वातावरण में ही विकसित नहीं होता अपितु उसके विकास में समुदाय के विस्तृत वातावरण का भी गहरा प्रभाव पड़ता है।ये समुदाय के वातावरण को ही तो चमत्कार जिसमें रहते हुए बालक की प्रवृति, विचारधारा तथा आदतों का निर्माण होता है एवं उसकी संस्कृति, रहन-सहन तथा भाषा पर एक अमित छाप दिखाई पड़ती है।ध्यान देने की बात है कि समुदाय का वातावरण बालक की अनुकरण करने की जन्मजात प्रवृति को विशेष रूप से प्रभावित करता है।इसीलिए बालक उन लोगों का अनुकरण करने लगता है।जिनके कि वह सम्पर्क में आता है यदि वह अपने गाँव या नगर में रहने वाले गवैयों के सम्पर्क में आता है तो तो उसे गाने में रूचि उत्पन्न हो जाती है।ऐसे ही यदि वह श्रमिकों के सम्पर्क में आता है, तो उसे श्रम के प्रति श्रद्धा होने लगती है।इस प्रकार मेलों, जुलूसों, तथा उत्सवों एवं समुदाय के विभिन्न कार्यों में या तो सक्रिय रूप में भाग लेते हुए अथवा अनुकरण द्वारा बालक हर समय कुछ न कुछ सीखता ही रहता है।कहने का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक बालक पर उस समुदाय का प्रभाव पड़े बिना किसी भी दशा में नहीं रह सकता जिसका कि वह सदस्य है।चूँकि प्रत्येक समुदाय की भाषा तथा संस्कृति अलग-अलग होती है, इसलिए प्रत्येक समुदाय के बालकों की संस्कृति भाषा तथा दृष्टिकोण एवं व्यवहार में स्पष्ट अन्तर दिखाई पड़ता है।इस दृष्टि से परिवार तथा स्कूल की भांति समुदाय भी बालक की शिक्षा का एक महत्वपर्ण साधन है।विलियम ए० ईगर ने ठीक ही लिखा है – “ चूँकि स्वाभाव से मानव सामाजिक प्राणी है, इसलिए उसमें वर्षों के अनुभव से सीख लिया है कि व्यक्तित्व तथा समहुहिक क्रियाओं का विकास सर्वोतम रूप में समुदाय द्वारा ही किया जा सकता है।“
बालक पर समुदाय के शैक्षिक प्रभाव
प्रत्येक समुदाय बालक पर औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के प्रभाव डालता है।निम्नलिखित पक्तियों में हम बालक पर समुदाय के औपचारिक प्रभावों पर प्रकाश डाल रहें हैं -
1) शारीरिक विकास पर प्रभाव – यूँ तो बालक के शारीरिक विकास पर परिवार तथा स्कूल आदि संस्थाओं का भी गहरा प्रभाव पड़ता है, परन्तु इस सम्बन्ध में समुदाय के वातावरण का प्रभाव भी कुछ कम नहीं पड़ता है।समुदाय स्थानीय संस्थाओं का निर्माण करता है।ऐसी संस्थाएं गांवों तथा नगरों के मौहल्लों एवं गली-कूंचों में सफाई का प्रबन्ध करती है और जगह-जगह पर बागों एवं पार्कों की
उम्मीद करता हु आपको अच्छा लगा होगा
अगर अछा लगा तोह इस उत्तर को brilliant बनाये
Similar questions