Aaj la vidyarthi pr niband
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विद्यार्थी का अर्थ है विद्या प्राप्त करने वाला किसी प्रकार की विद्या या कला या शास्त्र सीखने में लगा हुआ व्यक्ति विद्यार्थी हैं. इस सम्बन्ध में उम्रः का कोई प्रावधान नहीं है एक बालक से लेकर वयस्क वृद्ध जो कोई भी शिक्षा प्राप्ति के कर्म में रत है उन्हें विद्यार्थी की संज्ञा दी जाती हैं. हमारी सामाजिक व्यवस्था में बाल्यकाल से लेकर किशोर होने तक के समय को विद्यार्थी काल कहा जाता है यह जीवन निर्माण काल भी हैं.
एक विद्यार्थी का पहला और सबसे आवश्यक गुण है जिज्ञासा. बिना जिज्ञासा के भाव ज्ञान प्राप्ति सम्भव नहीं हैं आज के दौर के विद्यार्थी में सबसे बड़ी यह समस्या पाई जाती है कि उनमें शिक्षा के प्रति उदासीनता का भाव नजर आता हैं. सम्भवतः यह हमारी शिक्षा पद्धति की कमजोरी को भी इंगित करता हैं.
आज से 300 वर्ष पूर्व अमेरिका भारत की तरह ही ब्रिटिश उपनिवेश राज्य था. मगर स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद अमेरिका में जिस कार्य पर सर्वाधिक जोर दिया गया वह थी शिक्षा व्यवस्था. जिसका असर आज हम अमेरिकी वर्चस्व के रूप में देखते हैं. हमारा भावी भारत कैसा होगा इसे आज के स्कूलों एवं विद्यार्थियों में देखा जा सकता हैं. आज का विद्यार्थी ही भावी भारत का कर्णधार होगा.
एक विद्यार्थी में जिज्ञासा, शिक्षक के प्रति आदर, शिक्षण संस्थाओं के प्रति सम्मान के भाव, कड़ी मेहनत और ईमानदारी के गुणों की अपेक्षा की जाती हैं. आज भारत की स्कूली शिक्षा व्यवस्था का स्तर औसत कहा जा सकता हैं मगर देश के विश्व विद्यालयों तथा उच्च शिक्षण संस्थाए राजनीति का अड्डा बनती जा रही हैं. स्टूडेंट्स अपने अध्ययन की बजाय राजनीति धरने, विरोध प्रदर्शन और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में मुखर रूप से सामने आ रहे हैं. देश के बड़े संस्थानों में इस तरह की घटनाएं न केवल आज के छात्र की छवि को कलंकित करती हैं बल्कि देश के अन्य शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों पर भी नकारात्मक असर करती हैं.
भारत को विश्व का सबसे युवा देश कहा जाता हैं. मानवीय संसाधन से समर्थ भारत के युवा उच्च शिक्षा की डिग्रीया लेकर भी आज बेरोजगार घूम रहे हैं. विद्यार्थियों का असंतोष और व्यवस्था के प्रति नाराजगी के भाव को पैदा करने में हमारी शिक्षा पद्धति की भूमिका रही हैं. वहीँ दूसरी तरफ आज देश के गरीब परिवारों के छात्र विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं. विश्व के कई देशों में भारतीय डॉक्टर्स और इंजीनिरयर्स का दबदबा भारत के स्वर्णिम भविष्य की ओर संकेत करता हैं.
आज के विद्यार्थी के पास पर्याप्त क्षमता हैं इन्टरनेट ने उनकी पढ़ाई के स्वर्णिम द्वार भी खोल दिए हैं. मगर जब तक शिक्षा को रोजगारपरक नहीं बनाया जाएगा, देश में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जाएगी. जब एक परिवार का बच्चा अपने बड़े भाई या बहिन को उच्च योग्यता प्राप्त करने के उपरांत भी 10-20 हजार की नौकरी के लिए दर दर की ठोकरे खाते देखता हैं तो यह उसके मस्तिष्क में शिक्षा व्यवस्था के प्रति नकारात्मक भावों को जन्म देता हैं. न चाहकर भी उसके दिमाग में यह विचार घर करने लगता है कि मेरा भाई पढ़ा लिखा होकर कुछ न कर पाया तो क्या मुझसे हो पाएगा. सरकार व समाज को आज के विद्यार्थी के भविष्य के लिए चिंता करनी चाहिए तथा बढती शिक्षित बेरोजगारी पर किसी तरह लगाम कसनी ही होगी.
समूचे भारत का भविष्य हमारे विद्यार्थियों पर टिका हैं. हम आशान्वित है कि वे जल्द ही देश का नेतृत्व करने के लिए स्वयं को तैयार करने में जुट जाएगे. एक आदर्श विद्यार्थी के रूप में सभी अपेक्षित गुणों को अपनाकर समाज को नई दिशा दे सकेगे.
7 दशकों के बाद भी आज हम गरीबी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं निश्चय ही हमारे विद्यार्थी इन्हें मिटाने के लिए समयानुकूल कार्ययोजना लाएगे. वे जीवन में नैतिकता, सदाचार, ईमानदारी और धर्म के पथ पर चलते हुए भारत को विश्व गुरु बनाने के पथ पर आगे ले जाएगे. चूँकि विद्यार्थी काल तक उन्हें अच्छे बुरे का अधिक ज्ञान नहीं होता है अतः हमारे शिक्षकों व अभिभावकों का यह दायित्व बनता है कि वे छात्रों को अनुशासित जीवन पद्धति में ढालते हुए भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विद्वान् यौद्धा बनाएं जो धर्म व राष्ट्र को तोड़ने वाली शक्तियों से बाहुबली बनकर सामना कर सके.