Hindi, asked by bhui7, 1 year ago

Aaj mahilao ka ghar se bahar jakar naukri karna bacho ke ahit mein hain .... give 5 -10 pts on this


If correct ....brainliest and next q to him /her for 30 pts.

Answers

Answered by palakvirk
2
no bcz women have empower she maintains both their children's and their work... so it is wrong

chandrashekharpd9dik: Imn't satisfied
chandrashekharpd9dik: I asked some questions based on this topic
Answered by ahmedraza6531
14

Answer:

no

Explanation:

हम भारतीयों की एक विशेषता है संस्कृति, संस्कार और परिवार के नाम पर वही घिसे पिटे सिध्दांत , घुमा -फिरा कर फिर वही बाते , फिर वही बहस और प्रयास की किसी तरह बेचारे पुरुष को घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी न उठानी पड़े। इस प्रश्न में भी कोई नई बात नहीं है या हो सकता है लोगो की दबी हुए मंशा को अभिव्यक्ति देने के प्रयास किया गया है?

महिलाए तो घर की दुनिया सदियों से संभालती आई है, कोई नई बात नहीं है तो होना तो यह चाहिए था की हम बहस करते क्यों नहीं अब पुरुष वर्ग घर की जिम्मदारी उठा ले और महिलाओ को बाहर की दुनिया में काम करने दे। अगर सदियों से महिलाए कर सकती है तो पुरुष क्यों नहीं कर सकते।

फिर भी चूँकि प्रश्न महिलाओ के बाहर काम करने को लेकर है तो भैय्या अमेरिका के बच्चे , यूरोप के बच्चे और सभी विकसित देशो के ज्यादातर बच्चे हम जैसे ही होते है । कम से कम हम लोगो के मुकाबले बिगड़े हुए नहीं होते है और हमारे यहाँ देश में भी ऐसा कोई कारण नहीं दिखता जो यह बताये की कामकाजी महिलाओ के बच्चे homemaker के मुकाबले कही कम होते है। हाँ यह ज्ञात तथ्य है की दोनों के कमाने से घर की आर्थिक स्थिति सुधर जाती है , जो कहीं न कहीं बच्चो के बेहतर भविष्य के सहायक होती है । फिर कामकाजी महिलाए अपने आप पर ज्यादा विश्वास रखती है और वही विश्वास उनके बच्चो में भी दिखाई देता है। फिर कामकाजी महिलाओ के बच्चे बहुत जल्दी जिम्मेवार बन जाते है। ये सारे गुण कही न कही बच्चो को एक बेहतर नागरिक बनने में सहायक होते है।

वैसे बच्चा परिवार की जिम्मेवारी होता है जिसमे पति-पत्नी दोनों शामिल होते है और परिवार के बाकी सदस्य भी और जहाँ तक नौकरी का ताल्लुक है वह महिला की शैक्षणिक एवं व्यावसायिक प्रतिभा के जुड़ा हुआ है, न की बच्चे की परवरिश से। केवल इसीलिए महिला को आया का काम नहीं सोपा जा सकता की पति या परिवार के अन्य सदस्य अपनी जिम्मेवारी ठीक से नहीं निभा पाते है ।

और मेरा तो यह मानना है की पुरुष ज्यादा अच्छी रसोई पकाते है , अनुशासन के मामले में भी पुरुषो का रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा है और काम को व्यवस्थित करना तो हर पुरुष अपना हक मानता है । तो निश्चित ही पुरुष ज्यादा बेहतर तरीके से बच्चो की परवरिश को अंजाम दे पाएंगे। तो अगर महिलाए बाहर काम करेंगी तो न सिर्फ पुरुष अपनी क्षमताओं को निखार पाएंगे बल्कि बच्चो को बेहतर भविष्य भी दे पाएंगे।

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