"आज आपकी रिपोर्ट छाप दूँ तो कल ही अखबार बंद हो जाए"–स्वतंत्रता संग्राम के दौर में समाचार-पत्रों के इस रवैये पर ‘एही ठैयां झुलनी हेरानी हो रामा’ के आधार पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में चर्चा कीजिए| अथवा ‘मैं क्यों लिखता हूँ’, पाठ के आधार पर बताइए कि विज्ञान के दुरुपयोग से किन मानवीय मूल्यों की क्षति होती है? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
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sorry guys I can't help you ........
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जहाँ एक ओर विज्ञान ने जीवन को आसान बनाया है वहीं दूसरी ओर विज्ञान ने समस्त प्राणी जगत को संकट में डाल दिया है |
"Our scientific power has outrun our spiritual power. We have guided missiles and misguided men."
-Martin Luther King, Jr.
एक महान व्यक्ति ने एक बार कहा था, हमारी वैज्ञानिक शक्ति ने हमारी आध्यात्मिक शक्ति का नाश कर दिया है | हमारे पास बेहतर तकनीक वाली मिसाइल्स, बॉम इत्यादि हैं लेकिन इन हथियारों को नियंत्रित करने वालों में नैतिकता नहीं हैं |
इसका उपाय है विज्ञान के साथ-साथ हमें नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाये | भारत जगत गुरु है | इस देश की संस्कृति है "वसुधैव कुटुम्बकम" | प्राचीन समय में भारत में गुरुकुलों में नैतिक शिक्षा और चरित्र निर्माण पर ही बल दिया जाता था |
"When wealth is lost, nothing is lost; when health is lost, something is lost; when character is lost, all is lost."
-Billy Graham
आज विश्व में भारत की संस्कृति को सभी श्रेष्ठ मानते हैं | जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं हम प्रकृति से प्राप्त करते हैं, विज्ञान की प्रगति सदा ही प्रकृति का विनाश करती है |
अतः हमें विज्ञान का उपयोग उन गतिविधियों तक ही सीमित रखना चाहिए जो जीवन के लिए आवश्यक हों और जिनसे पृथ्वी पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव न्यूनतम हों |
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विज्ञान वरदान या अभिशाप
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