Hindi, asked by shrutigupta8111, 9 months ago

"आज आपकी रिपोर्ट छाप दूँ तो कल ही अखबार बंद हो जाए"–स्वतंत्रता संग्राम के दौर में समाचार-पत्रों के इस रवैये पर ‘एही ठैयां झुलनी हेरानी हो रामा’ के आधार पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में चर्चा कीजिए| अथवा ‘मैं क्यों लिखता हूँ’, पाठ के आधार पर बताइए कि विज्ञान के दुरुपयोग से किन मानवीय मूल्यों की क्षति होती है? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?

Answers

Answered by chandrashekharrai
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Answer:

sorry guys I can't help you ........

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Answered by namanyadav00795
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जहाँ एक ओर विज्ञान ने  जीवन को आसान बनाया है वहीं दूसरी ओर विज्ञान ने समस्त प्राणी जगत को संकट में डाल दिया है |

"Our scientific power has outrun our spiritual power. We have guided missiles and misguided men."

-Martin Luther King, Jr.

एक महान व्यक्ति ने एक बार कहा था, हमारी वैज्ञानिक शक्ति ने हमारी आध्यात्मिक शक्ति का नाश कर दिया है | हमारे पास बेहतर तकनीक वाली मिसाइल्स, बॉम इत्यादि हैं लेकिन इन हथियारों को नियंत्रित करने वालों में नैतिकता नहीं हैं |

इसका उपाय है विज्ञान के साथ-साथ हमें नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाये | भारत जगत गुरु है | इस देश की संस्कृति है "वसुधैव कुटुम्बकम" | प्राचीन समय में भारत में गुरुकुलों में नैतिक शिक्षा और चरित्र निर्माण पर ही बल दिया जाता था |

"When wealth is lost, nothing is lost; when health is lost, something is lost; when character is lost, all is lost."

-Billy Graham

आज विश्व में भारत की संस्कृति को सभी श्रेष्ठ मानते हैं | जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं हम प्रकृति से प्राप्त करते हैं, विज्ञान की प्रगति सदा ही प्रकृति का विनाश करती है |

अतः हमें विज्ञान का उपयोग उन गतिविधियों तक ही सीमित रखना चाहिए जो जीवन के लिए आवश्यक हों और जिनसे पृथ्वी पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव न्यूनतम हों |

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विज्ञान वरदान या अभिशाप

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