आज आदमी धन के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा है । पाँच पए िमलने पर दस पए और दस िमलने पर सौ और सौ िमलने पर हज़ार की लालसा िलए ए वह िजस अंधी दौड़ म शािमल हो रहा है,उस दौड़ का कोई अंत नहीं है। आज धन की इस दौड़ म सभी पारवारक और मानवीय संबंध पीछे छू ट गए ह। स ,अस ,उिचत ,अनुिचत ,ाय और अाय, अपने और पराए के भेदभाव को भूल गया है ।उसके पास अपनी पी और संतान के िलए भी समय नही ं है। धन के िलए पु का िपता के साथ, बेटी कामाताके साथ,पितकापीके साथझगड़ाहोरहाहै।भाई-भाईके खूनकाासाहै।धनकी लालसा मनु को जघ से जघ अपराध करने को उकसा रही है। इस लालसा का ही परणाम है िकजगह-जगहहा,लूट,अपहरण,चोरीऔरडकैतीजैसीघटनाएँिदनोिंदनबढ़रहीहै।इसरोगी मनोवृित को बदलने के िलए हम हर र पर य करने होगं े l
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is question ma Kay batana ha
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vvbggvvvvvcdddfffcvbbbbbvcdfghire
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