आज भी समाज में अनेक अंधविश्वास हैं। उन्हें दूर करने लिए आप क्या करना चाहेंगे? धार्मिक सद्भावना सामाजिक एकता की कड़ी है। स्पष्ट कीजिए।
Answers
Answer:
⏩‘अंधविश्वास दूर करने के लिए वैज्ञानिक सोच के साथ जन-जागृति की जरूरत’
4 वर्ष पहले
ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामवासी अंधविश्वास से प्रभावित हो जाते है, वहीं महिलाएं टोनही जैसे कुरीतियों से प्रताडि़त होती है। बैगा-गुनिया एवं जादू-टोने से झांसे में आकर जनसामान्य ठगे जाते है। रायगढ़ जिले में विगत दिनों सिद्धि के नाम पर एक बच्चे की नरबलि चढ़ाई गई। समाज में व्याप्त इन्हीं अंधविश्वास एवं कुरीतियों को दूर करने के लिए वैज्ञानिक सोच के साथ जन-जागृति की जरूरत है।
उक्त बातें गुरुवार को पुलिस महानिरीक्षक विवेकानंद सिन्हा ने धरमजयगढ़ विकास खण्ड के ग्राम-खम्हार में आयोजित अंधविश्वास निर्मूलन जागरूकता अभियान के दौरान कही। उन्होंने आगे कहा कि ढोंगी एवं पाखंडी लोग जादू-टोने के नाम पर जनसामान्य को बेवकूफ बनाते है। इसके लिए वे वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करते हुए कभी नीबू से खून निकालते है तो कभी आग पर चलकर जनसामान्य को अपने प्रभाव में लेते है। इन घटनाओं के पीछे वैज्ञानिक कारण होते है। जनसामान्य में इन्हीं घटनाओं को समझने के लिए वैज्ञानिक कारणों को उजागर करते हुए उनमें वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया है। पुलिस अधीक्षक बीएन.मीणा ने कहा कि कई बार जनसामान्य अंधविश्वास के कारण अपराध में भी लिप्त हो जाते है। गांवों में पाखंडी लोग भोले-भाले ग्रामवासियों को अपने प्रभाव में लेकर ठगते है। हालांकि अंधविश्वास को रोकने के लिए कानून भी बने है। लेकिन जनसामान्य में वैज्ञानिक सोच एवं जागरूकता की आवश्यकता है। आज भी गंाव में ग्रामवासी कई बार बीमारियों का इलाज नहीं कराते और झाड़-फूंक में विश्वास करते है और बीमारी बढ़ जाने पर डॉक्टर के पास जाते है। उन्होंने कहा कि रायगढ़ जिला बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जिला है। यहां टोनही जैसे अंधविश्वास एवं कुरीतियां दुखद है। टोनही के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार एवं अपराध के रूप में कई उदाहरण सामने आते है। कुरीतियों एवं अंधविश्वास को दूर करने की जरूरत है। अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकारी सचिव हरिभाऊ पाथोडे ने कहा कि महिलाओं को टोनही कहकर प्रताडि़त करने तथा गांवों से बहिष्कृत कर निकालने की घटनाएं दुखद है। सभी आज मोबाइल का उपयोग तो करते है, लेकिन वैज्ञानिक सोच नहीं रखते है। पाखंडी बाबा चमत्कार कर लोगों को अपने गिरफ्त में लेकर लूटते है तथा शोषण एवं प्रताडि़त करते है, इसके लिए वे हाथ की सफाई एवं वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करते है। उन्होंने ग्रामवासियों से आव्हान किया कि वैज्ञानिक सोच रखे एवं अंधविश्वास से दूर रहें। उन्होंने बहुत से चमत्कार व्यवहारिक वैज्ञानिक प्रयोग के माध्यम से बताया। उन्होंने बताया कि पोटेशियम परमेग्नेट एवं ग्लिसरीन को मिलाने पर क्रिया होने पर अपने आप आग जल उठती है। चाकू पर मिथाईल आरेंज लगाकर नींबू काटने से उसका रंग खून के समान लाल हो जाता है। इस अवसर पर युवराज सिंह एवं उनकी टीम द्वारा गीत-संगीत के माध्यम से अंध विश्वास को दूर करने के लिए नुक्कड़-नाटक प्रस्तुत किया गया। इस दौरान उप पुलिस अधीक्षक यूबीएस चौहान, अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन के समिति के टीम महाराष्ट्र संगठक दीपक सोलंके, रामरतन रेला सहित छात्र-छात्राएं एवं ग्रामवासी उपस्थित थे।
अंधविश्वास निर्मूलन जागरूकता अभियान कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे आईजी विवेकानंद सिन्हा व एसपी मीणा।⏪
Explanation:
May helps
Answer:
किसी एक विषय पर विचारों को क्रमबद्ध कर सुंदर, गठित और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध-लेखन कहते हैं।
निबंध रचना साहित्य का एक प्रमुख अंग है। निबंधकार अपने विचारों, अनुभवों तथा मनोभावों को एक सीमित दायरे के अंदर बाँधकर या सजाकर इस प्रकार रखता है कि उसकी छाप पाठक के हृदय पर पड़े बिना नहीं रहती। वह अपना हृदय खोलकर रख देता है
और उसका व्यक्तित्व उसकी रचना में झलकने लगता है। अच्छा निबंध वही होता है जिसमें वैयक्तिकता मूल रूप से विद्यमान हो। किसी भी निबंध के मुख्य रूप से तीन अंग होते हैं –
आरंभ (भूमिका)
मध्य (विस्तार)
समापन (उपसंहार)
1. आरंभ ( भूमिका) – यह निबंध का द्वार है जो पाठक को अपनी ओर आकर्षित करता है। भूमिका संक्षिप्त और सारगर्भित होनी चाहिए। यह आकर्षक और प्रभावोत्पादक होनी चाहिए। इसे प्रसंगानुकूल तथा उत्तम रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
2. मध्य (विस्तार)-यह निबंध का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। इसे निबंध का मेरुदंड भी कह सकते हैं। यहाँ विषय का विवेचन विश्लेषण अलग-अलग अनुच्छेदों में किया जाता है। विश्लेषण क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित होना चाहिए। अनावश्यक विस्तार और आवृत्ति से बचना चाहिए तथा विषय को व्यवस्थित तथा सुसंबद्ध रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करना चाहिए।
3. समापन (उपसंहार)-निबंध की यात्रा का यह अंतिम पड़ाव होता है। इसमें निबंध का उद्देश्य पूर्णरूपेण परिलक्षित होना
आवश्यक होता है। इसे उपदेशात्मक भी बनाया जा सकता है। कुल मिलाकर, यह संक्षिप्त, आकर्षक व मन को प्रभावित करने वाला होना चाहिए।