आज भी देश में करोड़ों लोग गरीब है, क्यों?
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because of berojgari
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वैश्विक प्रतिस्पर्धी सूचकांक में कुल 137 देशों के बीच भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 के 63वें स्थान से ऊपर उठकर वर्ष 2019 में 40वें स्थान पर आ गई। यह रैंकिंग विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी की जाती है।
Explanation:
गरीबी का आकलन सिर्फ आय के आधार पर नहीं बल्कि स्वास्थ्य की खराब स्थिति, कामकाज की खराब गुणवत्ता और हिंसा का खतरा जैसे कई संकेतकों के आधार पर किया गया
संयुक्त राष्ट्र: भारत में स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 से 2016 के बीच रिकॉर्ड 27.10 लोग गरीबी से बाहर निकले हैं. फिर भी करीब 37 करोड़ लोग आज भी गरीब हैं.
28 फीसदी आबादी अब भी गरीब
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005-06 में भारत के करीब 64 करोड़ लोग (55.1 प्रतिशत) गरीबी में थे. यह संख्या घटकर 2015-16 में 36.9 करोड़ (27.9 प्रतिशत) पर आ गयी. इस प्रकार, भारत ने बहुआयामी यानी विभिन्न स्तरों और उक्त 10 मानकों में पिछड़े लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में उल्लेखनीय प्रगति की है.
इस दौरान खाना पकाने का ईंधन, साफ-सफाई और पोषण जैसे क्षेत्रों में मजबूत सुधार के साथ गरीबी सूचकांक मूल्य में सबसे बड़ी गिरावट आयी है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और आक्सफोर्ड पोवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (ओपीएचआई) द्वारा तैयार वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2019 बृहस्पतिवार को जारी किया गया.