आजु गई हुती भोर ही हौं, रसखानि रई वहि नंद के भौनहिं।
वाको जियौ जुग लाख करोर, जसोमति को सुख जात कह्यो नहिं।।
तेल लगाइ लगाइ कै अंजन, भौंहैं बनाइ बनाइ डिठौनहिं
डारि हमेलनि हार निहारत वारत ज्यौ चुचकारत छौनहिं ।। 2 ।। व्याख्या बताएं
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sorry dont know the answer
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