आज घर में अतिथि आएंगे। घर की सफाई कर सजाया गया है। किसने यहां की सुंदरता देखी। सब लोग मिलकर मिठाई खाएंगे। हम लोग विभोर के घर भी उत्सव में जाएंगे। बच्चे आनंद से खेलेंगे। इसे संस्कृत में लिखिए
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एक साफ-सुथरा घर हम सब की ज़िम्मेदारी
मेक्सिको में सजग होइए! लेखक द्वारा
एक साफ-सुथरे माहौल में रहना भला किसे अच्छा नहीं लगता? मगर जैसे-जैसे शहरों में कूड़ा-कचरा बढ़ता जा रहा है, अपने घर और आस-पास के इलाके को साफ-सुथरा और ठीक-ठाक रखना और भी मुश्किल होता जा रहा है।
नगरपालिकाएँ, सड़कों से कूड़ा-कचरा हटाकर उन्हें साफ-सुथरा रखने की पूरी कोशिश करती हैं। मगर उनकी लाख कोशिशों के बावजूद, कुछ जगहों पर कचरा फिर जमा हो न सिर्फ देखने में गंदी लगती हैं बल्कि इस गंदगी से लोगों की सेहत को भी खतरा होता है। कूड़े-कचरे के ढेर चूहों, कॉकरोच और बीमारी फैलानेवाले दूसरे कीड़े-मकोड़ों की आबादी बढ़ाते हैं। क्या आप इसे रोकने के लिए कुछ कर सकते हैं? जी हाँ, अपने घर और आस-पास की जगह को साफ-सुथरा और ठीक-ठाक रखिए।
सही नज़रिया
कुछ लोग सोचते हैं कि जहाँ गरीबी है, वहाँ गंदगी ज़रूर होगी। मगर ऐसा ज़रूरी नहीं। माना कि गरीब होने से घर को साफ रखना मुश्किल हो जाता है। मगर स्पेन में यह कहावत है, “गरीबी और साफ-सफाई का आपस में कोई बैर नहीं।” दूसरी तरफ, अगर किसी के पास बहुत पैसा हो, तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि वह अपना घर-आँगन साफ रखेगा।
घर के अंदर और बाहर की जगह को साफ रखना इस बात पर निर्भर करता है कि साफ-सफाई के बारे में हमारा क्या नज़रिया है। क्योंकि यही नज़रिया हमें अपने घर को साफ रखने के लिए उभारेगा। दरअसल, घर की साफ-सफाई सिर्फ हमारे ही नहीं, बल्कि काफी हद तक परिवार के हर सदस्य के नज़रिए पर निर्भर करती है। इसलिए इस बारे में जाँच करना अच्छा होगा कि हम सब अपना घर-आँगन साफ-सुथरा कैसे रख सकते हैं।
साफ-सफाई का एक कार्यक्रम
देखा गया है कि घर में माँ का काम कभी खत्म नहीं होता। खाना पकाने और बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने के अलावा, उसे घर और आस-पास की जगह को साफ रखने का भी काम देखना पड़ता है। क्या आपने कभी गौर किया है कि बच्चों के जो गंदे कपड़े या दूसरी चीज़ें यहाँ-वहाँ पड़ी रहती हैं, उन्हें ज़्यादातर माँ ही उठाती है? अगर साफ-सफाई का एक अच्छा कार्यक्रम बनाया जाए जिसमें पूरा परिवार हाथ बँटाए, तो माँ का काम काफी हद तक हलका हो सकता है।
कुछ स्त्रियाँ यह तय करती हैं कि घर की कुछ जगहों को हर दिन साफ करना ज़रूरी है, जबकि दूसरी जगहों को हफ्ते में एक बार साफ करना काफी है। और बाकी जगहों को महीने में एक बार। दरअसल ऐसी कुछ चीज़ें या जगह हैं जिन्हें साल में एक बार साफ करने का कार्यक्रम बनाया जा सकता है। मिसाल के लिए, हर देश में यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तरों, यानी बेथेल घरों में हर साल क्लॉज़ट क्लीनिंग का कार्यक्रम रखा जाता है। यह ऐसा मौका है जब बेथेल के सदस्य, अपनी अलमारी, ड्रैसर या टेबल को साफ करते हैं और ऐसी चीज़ें फेंक देते हैं जिनका वे इस्तेमाल नहीं करते। इसके अलावा, नियमित तौर पर बेथेल की दीवारों को साफ करने का भी एक कार्यक्रम रखा जाता है।
घर में कुछ जगह ऐसी होती हैं जिन्हें साफ-सुथरा रखना ज़रूरी होता है, वरना इनसे हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। जैसे टॉयलेट-बाथरूम। यहाँ हर दिन थोड़ी-बहुत सफाई करना ज़रूरी तो है ही, मगर हफ्ते में एक बार अच्छी तरह सफाई करने से ऐसी जगहों पर कीटाणु जमा नहीं होंगे। कुछ लोगों को लगता है कि कमोड में धब्बे पड़ना कोई रोक नहीं सकता और इन्हें मिटाना नामुमकिन है। मगर आप कुछ घरों में पाएँगे कि उनका कमोड हमेशा साफ-सुथरा और चकाचक रहता है। बस इसे समय-समय पर साफ करने और सफाई के लिए सही रसायनों का इस्तेमाल करने की ज़रूरत है।
रसोई की भी अच्छी तरह सफाई करना ज़रूरी है। आप हर दिन बरतन तो धो देते हैं और स्टोव और खाना पकाने की जगह भी साफ करते हैं, मगर कभी-कभी, महीने में कम-से-कम एक बार, कुछ जगहों की अच्छी साफ-सफाई करना ज़रूरी है। जैसे, स्टोव और फ्रिज जैसे उपकरणों के पीछे और सिंक के नीचे की जगह। खाने का सामान रखने की अलमारियों को लगातार साफ करते रहने से वहाँ कॉकरोच और दूसरे खतरनाक कीड़े-मकौड़े पनाह नहीं लेंगे।
परिवार का साथ मिलकर काम करना
कुछ माता-पिता अपने बच्चों के लिए नियम बनाते हैं और उन्हें अपने कमरे को ठीक-ठाक रखना सिखाते हैं। जैसे, स्कूल जाने से पहले अपना बिस्तर बनाना, अपने गंदे कपड़े सही जगह पर रखना और खिलौने, किताबें जैसी चीज़ें ठीक-ठाक रखना। हर किसी के लिए यह नियम मानना फायदेमंद होगा: “हर चीज़ की अपनी एक जगह है और उसे अपनी जगह पर रखना चाहिए।”