आज हमें तरह-तरह की बीमारियों ने जकड़ रखा है। इससे हम न केवल रोगी हैं बल्कि
अल्पायु भी होने लगे हैं। हमें मशीनों पर अपनी निर्भरता को समाप्त कर शारीरिक श्रम के
महत्व को समझना होगा। जब हम स्वस्थ्य होंगे तभी हम किसी भी कार्य को पूरे मन से
सफलता पूर्वक कर पाएंगे। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है और
स्वस्थ मस्तिष्क ही सफलता की सीढ़ी के द्वार खोलता है। अतः हमें मशीनों पर अपनी
निर्भरता को रोकना चाहिए और शारीरिक श्रम के महत्त्व को पहचानकर प्रतिदिन श्रम करना
चाहिए। शारीरिक श्रम को अपनाकर ही हम अपना सच्चा विकास कर पाएंगे।
प्रश्न:
१) गद्यांश से 'ता' प्रत्यय वाले शब्द छांट कर लिखिए।
२) किन्हीं चार घरेलू मशीनों के नाम लिखिए।
३) गद्यांश में क्या अपनाने पर विशेष बल दिया गया है?
४) इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए - श्रम, उन्नति
५) बताइए कि सफलता की सीढ़ी के द्वार किस प्रकार खुलते हैं?
६) संयुक्त अक्षरों वाले चार शब्द लिखिए।
७) प्राचीन काल में मनुष्य शतायु क्यों होते थे?
८) शारीरिक श्रम न करने के कारण मनुष्य को किसने जकड़ा है?
९) हम अपना विकास कैसे कर सकते हैं?
१०) गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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बताइए कि सफलता की सीढ़ी के द्वार किस प्रकार खुलते हैं
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